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इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी से किशोर कुमार ने लिया था ‘पंगा’, खंडवा में पीएम मोदी ने किया जिक्र, पढ़िए पूरी कहानी

जब इंदिरा गांधी के समर्थन में गाने से किशोर कुमार ने कर दिया था मना, खंडवा में मोदी ने किया जिक्र

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भोपाल

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Pawan Tiwari

May 12, 2019

kishor kumar

भोपाल. आजादी के बाद इमरजेंसी को आजाद भारत का काला दिन कहा जाता है। आपातकाल के दौरान भी कई ऐसे लोग थे जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समाने नहीं झुके थे। उन्हें खामियाजा भी भुगतना पड़ा था। प्रधानमंत्री मोदी ने एमपी के खंडवा में आयोजित चुनावी रैली के दौरान किशोर कुमार का जिक्र किया है।

पीएम मोदी के बयान जानने से पहले उस वाक्ये को जान लेते हैं जब गायक किशोर कुमार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से पंगा ले लिया था। पूर्व पीएम इंदिरा गांधई ने 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लागू की थी। इस दौरान उस समय के सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्या चरण शुक्ल ने गायक किशोर कुमार के गानों को दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर पूरी तरह से बैन करवा दिया था।

क्यों हुआ ऐसा
कहा जाता है कि किशोर कुमार अपने उसूलों के पक्के थे, वो जो सोच लेते थे वहीं करते। अपने इसी जिद के चलते उन्हें ये समय देखना पड़ा था। इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस की हालत काफी खराब थी और किशोर कुमार उस समय काफी मशहूर गायक थे। इसलिए कांग्रेस चाहती थी कि किशोर कुमार इंदिरा गांधी के लिए गाना गाएं। किशोर कुमार इसके लिए तैयार नहीं हुए।

तीन साल तक उनके गानों पर रहा बैन
दूरदर्शन और आकाशवाणी पर किशोर कुमार के गाने तीन साल तक नहीं बजे। साथ ही नाराज कांग्रेस सरकार ने उनके घर पर आयकर विभाग के छापे भी डलवाए। लेकिन वे आपातकाल का समर्थन नहीं किए, साथ ही झुके भी नहीं।

अपनी धुन के पक्के किशोर कुमार ने एक बार कहा था कि कौन जाने वो क्यों आए लेकिन कोई भी मुझसे वो नहीं करा सकता जो मैं नहीं करना चाहता। मैं किसी दूसरे की इच्छा या हुकूम से नहीं गाता।

प्रधानमंत्री ने क्या कहा
मध्यप्रदेश के खंडवा में चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के मशहूर गायक किशोर कुमार जी तो इसी धरती के सपूत थे। इमरजेंसी के दौरान उन्होंने कांग्रेस के दबाव में आने से इनकार कर दिया था। बदले में कांग्रेस ने किशोर दा के गानों पर ही रोक लगवा दी थी। अब अगर आज कांग्रेस से पूछें, तो वो यही कहेंगे- हुआ तो हुआ।

गौरतलब है कि किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा में हुआ था। उनका निधन 58 साल की उम्र में 13 अक्टूबर 1987 को मुंबई में हुआ था। उन्हें मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।