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7 तरह की बीमारियां दे रहा प्रदूषण, बीमारियों से बचने के लिए ये करें उपाए

वातावरण में मौजूद अलग-अलग प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां होती हैं। कौन सा प्रदूषक किसी बीमारी के लिए जिम्मेदार है एम्स,भोपाल इस पर शोध करेगा। इसके लिए मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के साथ एम्स ने एमओयू किया।

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भोपाल. घर से बाहर निकलते ही हम कई प्रकार के प्रदूषण का सामना करते हैं, कुछ लोगों का तो घर भी ऐसी जगह होता है, जहां विभिन्न प्रकार का प्रदूषण उन्हें कई प्रकार की बीमारियां दे रहा है, चूंकि इनका जल्दी असर नजर नहीं आता है, लेकिन जब तक पता चलता है, तब तक ये बीमारियां घर कर जाती है, इसलिए आज हम आपको कुछ उपाए भी बता रहे हैं, जिनसे आप प्रदूषण से बच सकते हैं। कौन सा प्रदूषण किस बीमारी के लिए जिम्मेदार है, इस पर राजधानी भोपाल एम्स में शोध किया जाएगा।

प्रदूषण के कारण हर उम्र के लोग सांस संबंधित बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। प्रदूषण के कारण स्ट्रोक के 34 प्रतिशत, हृदय रोग के 26 प्रतिशत, फेफड़े के कैंसर 6 प्रतिशत एवं अन्य कारणों से 28 प्रतिशत मौत होती है। प्रदूषण बच्चों की स्मरण शक्ति पर भी असर डालता है। गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। कई तरह की बीमारियां गर्भ में ही सामने आ जाती हैं। हर उम्र के लोगों में सर्दी-खांसी बढ़ जाती है। चर्म रोग बढऩे के साथ ही कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है। बार-बार जुकाम होना, सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी, टीबी और गले में में इंफेक्शन, साइनस, अस्थमा एवं फेफड़ों से संबंधित बीमारियां वायु प्रदूषण के कारण होती हैं।

● फेफड़ों का कैंसर

● हृदय संबंधी बीमारी

● सीओपीडी बीमारी

● निमोनिया

● स्किन संबंधी समस्या

● अस्थमा

● स्मरण शक्ति पर असर

प्रदूषण से होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए आपको कुछ उपाए करने होंगे, जो बहुत आसान है, इन उपायों के माध्यम से आप कई प्रकार की बीमारियों से बच सकते हैं।
1. जहां भी प्रदूषण यानी धूल, धुआं, बदबू नजर आए, तुरंत मास्क का उपयोग करें।
2. प्रदूषण हमारे हाथों पर भी होता है, इसलिए भोजन करते समय या कुछ भी खाने से पहले हाथ जरूर धोएं। इससे हाथों में लगे बैक्टिरिया और वायरस खत्म हो जाएंगे।
3. आजकल पानी भी काफी प्रदूषित हो रहा है, इसलिए पानी को साथ सुथरा और स्वच्छ करके पीएं, अगर आप पानी को फिल्टर नहीं कर पाते हैं, तो कम से कम उसमें फिटकरी चला दें, ताकि उससे शरीर पर होने वाले नुकसान से बचा जा सके।
4. आप धूल, धुआं या अन्य प्रदूषित जगह से लौटकर आएं तो तुरंत कपड़ों को बदल लें, उन कपड़ों को फिर धूलने के बाद ही पहनें, खुद भी स्नान कर लें, ताकि आपके शरीर से धूल, धुआं आदि प्रदूषण निकल जाए।
5. घर से बाहर निकलने पर विभिन्न प्रकार का प्रदूषण हमे घेर लेता है, इस कारण सुबह या शाम जब भी आपको समय मिले, तब योग, प्राणायाम करें, जिसमें अनुलोम विलोम, कपालभाती सहित अन्य सूक्ष्म व्यायाम भी कर सकते हैं।
6. पेड़ पौधों से हमें ऑक्सीजन मिलता है, इसलिए घरों के आसपास पेड़ पौधें लगाएं, पेड़ पौधों के कारण प्रदूषण से भी बचा जा सकता है और प्रदूषण से भी मुक्ति मिलती है।
7. हालांकि कोरोना काल के बाद सभी अपनी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करने लगे हैं, इसलिए आप भी अपनी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए विटामिन का उपयोग करें, इसके लिए आप संतरा, नींबू, आंवला, फल और सब्जियों का रस, काड़ा, अदरक और शहद आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
8. आपका अपने घर का वातावरण भी खुला व हवादार रखना चाहिए, ताकि आपको सोते उठते व किसी भी समय सांस लेने में तकलीफ नहीं हो, आपको भरपूर ऑक्सीजन मिले और आप अपने आप को स्वस्थ महसूस कर सकें।

एमपीपीसीबी की मानव कल्याण की पहल

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहली बार मानव कल्याण पर पर्यावरण में मौजूद प्रदूषक का दीर्घकालिक प्रभाव पर अध्ययन के लिए चिकित्सा संस्थान से हाथ मिलाया है। एमपीपीसीबी के सदस्य सचिव चंद्र मोहन ठाकुर के अनुसार एम्स के शोधकर्ता पीसीबी की प्रयोगशाला का इस्तेमाल करेंगे। शुरुआत में एम्स के शोधकर्ता सिंगरौली की आबादी पर वायुजनित (एयर बार्न) फ्लाई ऐश कणों के स्वास्थ्य प्रभावों पर एक क्षेत्र-आधारित पायलट अध्ययन करेंगे। यह जिला देश में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले जिलों में से एक है।

शुरू होंगेे नए कोर्स

एम्स,भोपाल के निदेशक प्रोफेसर अजय सिंह ने पर्यावरणीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेषज्ञता अध्ययन के साथ ही इस विषय पर नए कोर्स शुरू करने पर संभावना जताई।

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एंटी स्मॉग गन तैनात हों

दिल्ली की तरह भोपाल में भी धूल रोधी अभियान चलाने की जरूरत है। राजधानी में भी जगह-जगह निर्माण कार्य चल रहे हैं। इनसे वातावरण प्रदूषित हो रहा है। निर्माण कार्यों की जांच के लिए आकस्मिक टीमों का गठन होना चाहिए। जो निर्माण स्थलों पर प्रदूषण के खिलाफ उपायों के अनुपालन पर नजर रखे। पांच हजार वर्ग मीटर से बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन की तैनाती करनी चाहिए। धूल के प्रदूषण को रोकने के एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य कर दिया जाए।

-शिवानी घोष, पर्यावरणविद्