scriptविधायकों के हक पर प्रहार, 700 सवालों के जवाब अटके | Practices of MLAs, stopping the answers to 700 questions | Patrika News

विधायकों के हक पर प्रहार, 700 सवालों के जवाब अटके

locationभोपालPublished: Jul 17, 2018 10:51:06 am

नई विधानसभा के गठन के साथ ही समाप्त हो जाएंगे ये सवाल…

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Proposal for Chhindwara division

भोपाल@दीपेश अवस्थी की खास रिपोर्ट…

मध्यप्रदेश के 149 विधायकों के सात सौ से ज्यादा सवालों के जवाब अब कभी नहीं आएंगे। चौदहवीं विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने में अब पांच महीने शेष हैं, ये लंबित सवाल नई विधानसभा के गठन के साथ ही समाप्त हो जाएंगे।
लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर विधानसभा में माना जाता है कि यहां सवाल पूछे जाएंगे तो सरकार जरूर देगी। लेकिन सरकार कई सवालों के जवाब लगातार टालती आ रही है। विधायकों को कहना है कि यह सीधे-सीधे उनके हक पर प्रहार है। क्योंकि सदन में विधायकों का सबसे बड़ा अधिकार सवाल पूछने का है, लेकिन उन्हें उसी के जवाब नहीं मिल रहे हैं।
जवाब आता तो होती किरकिरी –
विधायकों को ज्यादातर राज्य में हुए घोटालों, सरकारी योजनाओं की असफलता, अनाब-शनाब खर्च से जुड़े हैं। इन सवालों के जवाब नहीं मिले हैं, जिसके जवाब आने और जनता के बीच जाने से सरकार की किरकिरी होती। इस किरकिरी से बचने के लिए सरकार लगातार सवालों के जवाब टालती रही। कुछ सवाल तो इस १४वीं विधानसभा के शुरूआत के हैं।
यह है नियम –
सत्र की अधिसूचना के साथ ही विधायक लिखित सवाल विधानसभा सचिवालय को देते हैं। सचिवालय इनके जवाब सरकार से लेकर पुस्तक के रूप में प्रकाशित करता है। सदन में ये जवाब पेश होते हैं। मंत्री जवाब देते हैं। यदि एक सत्र में कोई जवाब नहीं आता तो उसे अगले सत्र में पेश करना अनिवार्य होता है, लेकिन विभाग इसमें लापरवाही करते हैं।
इन सवालों के जवाब अटके –
पेंशन घोटाला, सिंहस्थ, व्यापम घोटाला, किसान आत्महत्या, खनन घोटाला, राज्योत्सव सहित अन्य आयोजन में हुआ खर्च, राशि किस मद से खर्च की गई, दवा और मेडिकल उपकरण खरीदी, किन कंपनियों से हुआ अनुबंध, लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के कितने अफसरों को रंगे हाथों पकड़ा, फांसी की सजा के प्रावधान के बाद कितनी नाबालिग बच्चियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म और बलात्कार की घटनाएं हुई, किसान आंदोलन के दौरान कितने प्रकरण दर्ज हुए, गोलीकाण्ड के दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई, व्यापमं घोटाला उजागर होने के बाद कितने विद्यार्थियों की डिग्रियां निरस्त, कितने मृतकों के अंगदान किए गए, किसे अंग प्रत्यारोपित किए गए, अंगदान का सहमति पत्र।
एेसे हैं सवाल पूछने वाले विधायक –
विश्वास सारंग और जालम सिंह पटेल ने विधायक की हैसियत से सवाल पूछे थे, लेकिन इनके जवाब भी सरकार टालती रही, अब ये सरकार में मंत्री बन गए हैं, लेकिन इनके द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब अभी तक सरकार ने नहीं दिए। इसी प्रकार नारायण त्रिपाठी जब कांगे्रस विधायक थे तब उन्होंने सवाल पूछा था। इस बीच उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा, उप चुनाव में फिर जीते अब भाजपा विधायक हैं, लेकिन इन्हें सवाल का उत्तर नहीं मिला।
प्रमुख विभागों के अटके सवाल –

कृषि – 86
गृह – 81

चिकित्सा शिक्षा – 83
जल संसाधन – 77

स्वास्थ्य – 58
वन – 24

सहकारिता – 23
सामान्य प्रशासन – 32

सरकार तानशाही पर उतर आई है। विधायक तो सदन में ही सवाल पूछेंगे। सवाल पूछो तो जानकारी नहीं दी जाती। कई सवाल एेसे हैं जिनके सवाल अभी तक नहीं आए। अब १४वीं विधानसभा समाप्त होने के साथ ये सवाल भी समाप्त हो जाएंगे।
– डॉ. गोविंद सिंह, विधायक
विधायक 30 दिन पहले लिखित सवाल देता है, विधानसभा सचिवालय उसे उसी दिन सरकार को भेज देती है, लेकिन यह विभागों की गंभीर लापरवाही है। सवालों का जवाब न देकर सरकारी महकमे कानून की अव्हेलना कर रहे हैं।
– बाबूलाल गौर, विधायक

विधायकों के सवालों के जवाब समय पर मिल जाएं, इसके लिए सचिवालय लगातार प्रयास करता है। सदन में भी स्पीकर ने समय-समय पर सरकार को निर्देश दिए। शेष रहे सवालों के जवाब सरकार से प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
– अवधेश प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश विधानसभा

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