बम विस्फोट में प्रज्ञा पर आरोप: 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक विस्फोट में 7 लोगों की मौत हुई थी। 100 लोग घायल हुए थे। यह विस्फोट जिस बाइक में बम लगाकर किया गया था, वह प्रज्ञा ठाकुर के नाम रजिस्टर्ड थी। मामले में प्रज्ञा व कर्नल पुरोहित को अक्टूबर 2008 में गिरफ्तार किया गया। प्रज्ञा पर मकोका अधिनियम की विभिन्न धाराएं लगाकर महाराष्ट्र एटीएस के चीफ रहे हेमंत करकरे को मामले की जांच सौंपी गई। करकरे के नेतृत्व वाली एटीएस ने 4500 पेज की चार्जशीट में विस्तृत रूप से घटना के बारे में बताते हुए इसके लिए एक संगठन ‘अभिनव भारत संघ’ को जिम्मेदार बताया।
करकरे पर आरोप
हेमंत करकरे व उनकी टीम पर आरोपियों को प्रताडि़त करने का आरोप लगा। ये आरोप भी लगा कि प्रज्ञा ठाकुर सहित सभी आरोपियों को साजिश के तहत फंसाया गया। प्रज्ञा ने आरोप लगाए कि करकरे व उनकी टीम ने जेल में उनके साथ मारपीट की। 2011 में मामले की जांच एटीएस के बजाय एनआईए को दी गई।
दिग्विजय सिंह का संबंध
दि संबर 2010 में मुंबई की एक सभा में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दावा किया था कि 26/11 हमले के चंद घंटे पहले उनकी हेमंत करकरे से बातचीत हुई थी। इसके बाद जब दिग्विजय सिंह पर झूठ बोलने के आरोप लगे तो उन्होंने अपने मोबाइल फोन की कॉल रिकॉर्डिंग पेश कर दी। करकरे को लेकर दिग्विजय एक बार तब विवादों में आए जब उन्होंने कहा कि करकरे ने मुझे फोन पर बताया कि मालेगांव बम विस्फोट में ‘हिंदू आतंकवादियोंÓ को पकडऩे से उनकी जान को दक्षिणपंथी यानी हिंदू संगठनों से खतरा है। इस बयान पर इतना हंगामा मचा कि कांग्रेस को इससे पल्ला झाडऩा पड़ा।