शाह ने 10 दिन में मांगा जवाब
दरअसल, भाजपा लोकसभा प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान पर विवाद पैदा हुआ था। जिसके बाद पीएम मोदी ने एक इंटरव्यू में अपनी नाराज़गी जताई थी। उन्होने कहा था कि प्रज्ञा ठाकुर या जो भी इस तरह का बयान देगा उसे माफ़ नहीं करेंगे। भाजपा ने मामले को शांत करने के लिए इस बयान से किनारा कर लिया था। बाद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रज्ञा ठाकुर से विवादित बयान को लेकर 10 दिन में जवाब देने को कहा।
प्रज्ञा ठाकुर 21 प्रहर का रखा मौन
हालांकि प्रज्ञा ठाकुर ने विवादित बयान को लेकर पहले माफी मांगी थी। जिसके बाद सोमवार (20मई) को प्रज्ञा ठाकुर ने एक बार फिर अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए कहा है कि “चुनावी प्रक्रियाओ के उपरान्त अब समय है चिंतन मनन का, इस दौरान मेरे शब्दों से समस्त देशभक्तों को यदि ठेस पहुंची है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं और सार्वजनिक जीवन की मर्यादा के अंतर्गत प्रयश्चित हेतु 21 प्रहर के मौन व कठोर तपस्यारत हो रही हूं।”
कांग्रेस पुतला जलाकर किया विरोध प्रदर्शन
भाजपा लोकसभा प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाथूराम गोडसे पर दिए गए विवादित बयान पर बीते शनिवार को कांग्रेस ने बोर्ड ऑफिस चौराहा पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया था। यहां कांग्रेस के शहर कार्यवाहक अध्यक्ष आसिफ जकी के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने प्रज्ञा का पुतला दहन भी किया।
वहीं, मध्य से विधायक आरिफ मसूद ने प्रज्ञा और भाजपा के अनिल सोमित्र के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग की थी। मसूद ने गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान पर बड़ी आपत्ति लेते हुए लिली टॉकिज चौराहा पर अंबेडकर की प्रतिमा के सामने सांकेतिक धरना दिया।
उम्मीदवारी समाप्त करने आयोग से शिकायत
भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के गोडसे संबंधी बयान पर शनिवार को गांधीवादी व एकता परिषद के संस्थापक पीवी राजगोपाल ने चुनाव आयोग को शिकायत की है कि प्रज्ञा की उम्मीदवारी शून्य की जाए।
शिकायत में गांधी विचारकों ने कहा कि जिस तरह बाला साहेब ठाकरे पर चुनाव आयोग ने सख्ती कर चुनाव लडऩे पर पाबंदी लगाई थी, उसी तरह प्रज्ञा पर भी पाबंदी लगाई जाए। गांधी भवन न्यास के सचिव दयाराम नामदेव, रन सिंह परमार, सचिव, महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा, अनीष कुमार उपाध्यक्ष, सर्वोदय मंडल, सहित गांधीवादी विचारकों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव से शिकायत की।
शिकायत में कहा गया है कि यह संयोग नहीं माना जा सकता कि एक तरफ भोपाल से, भाजपा की आतंकी षडयंत्र की आरोपी, लोकसभा की प्रत्याशी प्रज्ञा अपने उदगार प्रकट कर रही थी कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंग, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाषण दे रहे थे कि हमें चक्र सुदर्शनधारी कृष्ण और चरखाधारी महात्मा गांधी का देश बनाना है।
इन बिंदुओं पर सौंपा ज्ञापन
– प्रज्ञा को पार्टी से अलग किया जाए।
– चुनाव आयोग ऐसे उम्मीदवार के प्रति सख्त कदम उठाए।
– प्रज्ञा ने राजनीति में हिंसा को प्रतिष्ठित करने की कोशिश की है, जो संविधान के विरुद्ध है।
– क्या किसी पार्टी के उम्मीदवार के व्यक्तिगत विचारो से वास्तव में पार्टी का कुछ लेना-देना नहीं होता ?
– क्या ऐसे उम्मीदवार की उम्मीदवारी वापस लेना उचित नहीं होगा , अगर पार्टी में पारदर्शिता लानी हो तो ?