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बोरवेल में गिरे मासूम का रेस्क्यू आखिरी चरण पर, पहले भी हो चुकी हैं ये घटनाएं

प्रहलाद का रेस्क्यू अंतिम चरण पर, बोरवेल में पहले भी गिर चुके हैं कई मासूम।

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बोरवेल में गिरे मासूम का रेस्क्यू आखिरी चरण पर, पहले भी हो चुकी हैं ये घटनाएं

पाल। निवाड़ी जिले के एक गांव के बोरवेल में गिरे पांच साल के मासूम को बचाने का रेस्क्यू ऑपरेशन करीब 30 घंटे से जारी है। प्रहलाद नाम के इस मासूम बच्चे को बचाने के लिए पिछले 24 घंटों से निवाड़ी जिले के सेतपुरा गांव में रेस्क्यू आपरेशन चला रही है। बताया जा रहा है कि, बच्चा 200 फीट गहरे बोरवेल में करीब 65 फीट गहराई में सिर के बल फंसा हुआ है। रेस्क्यू अमले ने बोरवेल के बगल में अब तक 55 फीट गहरा गड्ढा खोदा जा चुका है। जल्द ही रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होना की उम्मीद है, जिसपर पत्रिका.कॉम आपको पल पल की अपडेट दे रहा है। हालांकि, ये मध्य प्रदेश का पहला मामला नहीं है, जब कोई बच्चा बोरवेल में फंसा हो। बोरवेल में बच्चों के गिरने का सिलसिला प्रिंस से शुरु हुआ था, जिसमें कई बच्चों को तो रेस्क्यू कर बचाया भी गया, किन कुछ ने अपनी जान भी गवा दी। आइये जानते प्रदेश में अब तक कितने बच्चों के साथ बोरवेल में गिरने की घटनाएं हुई हैं।


करीब 60 फीट पर फंसा हुआ है मासूम प्रहलाद

बोरवेल में सबसे पहले गिरा था झारखंड का प्रिंस

जब भी बोरवेल में किसी बच्चे के गिरने की घटना सामने आती है, तो प्रिंस का नाम हर किसी की जुबान पर आ ही जाता है। हालांकि, प्रिंस झारखंड का रहने वाला है। लेकिन, उसके बचा जाने दुआएं मध्य प्रदेश समेत दुनिया भर में की जा रही थीं। 2006 में हुई उस घटना को अब तक 14 साल बीत चुके हैं और उस वक्त मात्र 5 साल का मासूम प्रिंस अब 19 साल का नौजवान है। प्रिंस को बचाने के लिए 50 घंटे तक सेना का रेस्क्यू चलाया गया था। वो 50 घंटे हर चैनल और अखबार के प्ंट पेज पर सिर्फ प्रिंस का ही नाम था। दुनियाभर में उसकी जान के लिए दुआएं हो रही थी और राज्य के कई इलाकों से लोग प्रिंस के गांव पहुंच गए थे। आज भी प्रिंस उस बंद पड़े बोरवेल के पास खड़ा होकर उन 50 घंटों के मंजर को याद कर दहल जाता है।


150 फीट गहरे बेरवेल में फंसा था रोशन

इसके बाद मध्य प्रदेश के देवास जिले में साल 2018 में बोरवेल में गिरे चार साल के मासूम बच्चे रोशन को सेना के जवानों ने 35 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया। बोरवेल से बाहर निकाले जाने के बाद चिकितसकों ने जांच कर रोशन को स्वस्थ बताया था। बोरवेल से मासूम को बाहर निकले जाने के बाद का क्षण बेहद भावुक करने वाला था। धर्ती की 30 फीट गहराई में 35 घंटे तक जिंदगी की जद्दोजहद करके बोरवेल से बाहर आने पर रोशन की आंखें जहां सबसे पहले अपने परिवार को खोज रही थीं, वहीं उसके चहरे जिंदगी की जंग जीत लेने की मुस्कान भी थी। आपको बता दें कि, जिस बोरवेल में 30 फीट नीचे रोशन फंसा हुआ था, उसकी गहराई 150 फीट थी।


20 घंटे कड़ी मशक्कत लेकिन नहीं बच सकी थी मासूम की जान

मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की डबरा तहसील के खेरिया गांव में भी 23 जुलाई 2016 को बोरवेल के 200 फीट गहरे गढ्ढे में गिरे तीन साल के बच्चे अभय चौधरी को 20 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षाबलों की मदद से बच्चे को 25 फीट गहराई से निकाल लिया गया था, लेकिन अफसोस उस मासूम को बचाया नहीं जा सका। बोरवेल से निकाले जाने के तुंरत बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बच्चे को निकालने के लिए स्थानीय पुलिस, प्रशासन, सीमा सुरक्षा बल और राष्ट्रीय आपदा राहत बल ने संयुक्त रुप से 20 घंटे का अभियान चलाया। बता दें कि, अभय अपनी दादी और बड़ी बहन के साथ घर लौट रहा था, जिस दौरान खेत के बोरवेल में गिर गया था।


कुशल रणनीति से बची थी 2 साल के मासूम की जान

इसके बाद 27 जनवरी 2019 को मध्य प्रदेश के ही सिंगरौली में एक 2 साल का मासूम बच्चा तेज प्रताप 70 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था। घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन और राहत टीम ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। तीन घंटों की मशक्कत के बाद बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया गया। बता दें कि, मासूम तेज प्रताप खेलते समय खेत में बने गड्ढे में गिर गया था। बच्चा अपने ही पिता आदित्य प्रताप के खेत के बोरवेल में गिरा था। हालांकि, तीन घंटे के प्रयास के बाद आखिरकार बच्चे को बचाने में कामयाबी मिल गई थी। घटना सिंगरौली जिले के चितरंगी गढ़वा थाना क्षेत्र के नौडिहवा चौकी के अंतर्गत ग्राम खैड़ोर की है।