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14 साल में एक से 2 रुपए की हुई माचिस

माचिस ऐसी घर उपयोगी वस्तु है, जिसके दाम सभी कंपनियों की माचिस में समान रहते हैं।

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14 साल में एक से 2 रुपए की हुई माचिस

14 साल में एक से 2 रुपए की हुई माचिस

प्रवीण मालवीय
भोपाल. यूं तो बाजार में बिकने वाली हर चीज पर साल दो साल में महंगाई का असर दिख जाता है, लेकिन माचिस ऐसी चीज है, जिस पर महंगाई की मार करीब डेढ़ दशक बाद नजर आ रही है, माचिस पिछले १४ सालों से एक रुपए में बिक रही थी, जिसके दाम अब दो रुपए हो गए हैं।


100 साल पहले 2 पैसे थी कीमत


माचिस की कीमत करीब 100 साल पहले मात्र 2 पैसे थी, 1920 के दशक में माचिस महज 2 पैसे में मिलती थी, जिसकी कीमत वर्ष 2021 में दो रुपए हो गई है। हालांकि इन सालों में माचिस का रंग रूप और आकार में कोई परिवर्तन नहीं आया है, लेकिन 100 सालों में माचिस ने दो पैसे से 2 रुपए तक पहुंचकर 100 गुना सफर तय किया है।


सभी कंपनियों के समान रहते हैं दाम


यूं तो माचिस बाजार में विभिन्न कंपनियों की मिलती है। लेकिन माचिस ऐसी घर उपयोगी वस्तु है, जिसके दाम सभी कंपनियों की माचिस में समान रहते हैं। अब तक सभी कंपनियों के दाम एक रुपए थे, जो बढ़कर दो रुपए हो गए हैं।

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3500 कपंनियां बनाती है माचिस


अपने दुर्लभ माचिस कलेक्शन से अंतरराष्ट्रीय लेवल तक पहचान बना चुके बीएचइएल निवासी सुनील भट्ट ने पत्रिका को बताया कि देश में सैंकड़ों माचिस निर्माता कंपनियां हैं।अभी 3500 से अधिक कंपनियां माचिस बनाती हैं।

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14 साल बाद एक रुपए से दो रुपए की हुई माचिस
भट्ट ने बताया कि 1900 से 1910 के बीच माचिस की कीमत करीब एक रुपए थी, जो 1910 से 1915 के बीच डेढ़ पैसे हो गई, फिर 1925 से 30 के बीच तीन पैसे, 1935-36 में यह पांच पैसे हो गई, 1950 में माचिस 10 से 13 पैसे की हो गई, इसके बाद 70-80 के दशक में माचिस 15 पैसे तो 90 के दशक में 20 से 25 पैसे की हो गई थी, 1999 में 75 पैसे और 2008-09 में एक रुपए में मिलने लगी, जो अब तक एक रुपए में मिलती थी, लेकिन अब वह माचिस सीधे दो रुपए की हो गई है।