
भोपाल। सामाजिक समरसता के एजेंडे के बीच अब आरएसएस में अंदरूनी आरक्षण का नया प्रस्ताव सामने आया है। देश के दलित वर्ग में संघ अपनी पैठ मजबूत करना चाहता है। इस लिहाज से अब अभा स्तर की जिम्मेदारी इस वर्ग के वरिष्ठ संघ नेताओं को दिए जाने के संकेत हैं। उद्देश्य यही है कि हिंदुत्व को मजबूत करने जात-पात का भेट मिटे और संघ खुद इसका आदर्श उदाहरण पेश कर सकें। उज्जैन में जारी संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में इस प्रस्ताव पर मंथन हुआ है।
सूत्रों कि मानें तो संघ प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत की अगुवाई में जारी अभा समन्वय बैठक में संघ के अंदरुनी आरक्षण प्रस्ताव पर भी बातचीत हुई है। जिसमें कहा गया कि दलित वर्ग में ये भावना ना आए कि संघ केवल सवर्णों को ही तवज्जो देता है। इस धारणा को तोडऩे संघ अब अभा स्तर के पद में भी दलित वर्ग के संघ नेताओं को जगह देने के विचार में है। बुधवार को इस प्रस्ताव पर भाजपा के शीर्ष नेताओं से भी चर्चा होने की संभावना है।
दिग्गज शामिल, अन्य भी आएंगे
संघ के सह कार्यवाह भैय्याजी जोशी, अभा सेवा प्रमुख पराग अभ्यंकर, सुहास राव हिरेमठ, अभा व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक, बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन, संपर्क प्रमुख गुणवंत कोठारी, अभा प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य आदि बैठक में विचार मंथन कर रहे हैं। ३ व ४ जनवरी की बैठकों में अन्य ३४ अपेक्षित प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
रामलाल और राममाधव भाजपा की ओर से होंगे शामिल
भाजपा राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल व महासचिव राममाधव बुधवार देर शाम उज्जैन पहुचेंगे। वे ४ जनवरी को बैठक के दो सत्र में शामिल होकर पार्टी गतिविधियों संबंधी जानकारी आला संघ नेताओं को देंगे। माना जा रहा है की गुजरात चुनाव नतीजों के समीकरण व स्थितियोंं से लेकर आगामी ८ राज्यों में होने वाले चुनावों पर संघ पार्टी कि प्लानिंग पर बात करेगा। जिस राज्य में जैसी परिस्थिति है उस मान से संघ वहां अपना एजेंडा पार्टी से साझा करेगा। गौरतलब है कि २०१८ में मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान व इसके बाद कर्नाटक, ओडि़शा मेघालय, मिजोरम, नागालैंड में विधानसभा चुनाव होना है।
Published on:
03 Jan 2018 09:50 am
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