खरीफ सीजन के लिए कृषि विभाग ने बोवनी का प्रस्तावित रकबा जारी कर दिया है। सोयाबीन और धान की जगह इस साल दलहनी फसलों के रकबे में 5 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि प्रस्तावित की गई है।
बैतूल। खरीफ सीजन के लिए कृषि विभाग ने बोवनी का प्रस्तावित रकबा जारी कर दिया है। सोयाबीन और धान की जगह इस साल दलहनी फसलों के रकबे में 5 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि प्रस्तावित की गई है। इसका बढ़ा कारण देश में दलहनी फसलों के आयात से निर्भरता को कम करना है। वर्तमान में दालों की कीमतों में उछाल आने से आम लोगों को काफी परेशानियां उठाना पड़ रही है। खुले बाजार में तुअर दाल की कीमतें 130 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। दलहनी फसलों पर बढ़ती महंगाई को देखते हुए सरकार दलहन उत्पादन में बढ़ोत्तरी की योजना पर काम कर रही है। जिले में तुअर, उड़द और मंूग के रकबे को बढ़ा दिया गया है।
खरीफ का रकबा दस हजार हेक्टेयर बढ़ा
कृषि विभाग ने इस साल खरीफ के रकबे में दस हजार हेक्टेयर तक की बढ़ोत्तरी की है। खरीफ में जहां मक्का, कोदोकुटकी, मूंगफल्ली, धान और ज्वार में मामूली वृद्धि की गई है। वहीं दलहनी फसलों का रकबा काफी बढ़ाया गया है। दलहनी फसलों में तुअर का रकबा पिछले साल की तुलना में 21 हजार 400 हेक्टेयर से बढ़ाकर इस साल 23 हजार 500 हेक्टेयर कर दिया गया है। उड़द का रकबा 1 हजार 800 हेक्टेयर से बढ़ाकर 3 हजार हेक्टेयर और मूंग का रकबा 800 हेक्टेयर से बढ़ाकर 1 हजार हेक्टेयर प्रस्तावित किया गया है। दलहनी फसलों का रकबा बढ़ाने के पीछे मुख्य उद्ेश्य इसके आयात से निर्भरता को कम करने की कोशिश करना है।
दलहन की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर
जिले में दलहनी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। वर्ष 2021 में तुअर की बोवनी का लक्ष्य 21 हजार 100 हेक्टेयर में किया गया था। तब इसकी उत्पादकता 863 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हुआ करती थी। जो वर्ष 2022 में 21 हजार 400 हेक्टेयर बोवनी का लक्ष्य होने के बाद उत्पादकता बढ़ाकर 1139 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर पहुंच गई। तुअर के उत्पादन में हो रही वृद्धि केा देखते हुए ही कृषि विभाग ने इस साल बोवनी का लक्ष्य 23 हजार 500 हेक्टेयर कर दिया है। जिसकी उत्पादकता का प्रस्तावित लक्ष्य 1200 किलोग्राम प्रति हेक्टयर निर्धारित किया है। इसी प्रकार उड़द में इस साल प्रस्तावित उत्पादकता का लक्ष्य 680 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और मूंग में प्रस्तावित उत्पादकता का लक्ष्य 500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखा गया है।
सोयाबीन के रकबे में कोई बढ़ोत्तरी नहीं
जिले में खरीफ सीजन की प्रमुख फसल सोयाबीन होती हैं, लेकिन पिछले दो सालों के इसके रकबे में मामूली बढ़ोत्तरी भर की गई है। इस साल तो रकबे में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है। इसका कारण हर साल अतिवृष्टि की कीटव्याधि के कारण सोयाबीन की फसल बर्बाद हो जाती है। जिसकी वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इसे देखते हुए ही कृषि विभाग ने पिछले साल के प्रस्तावित रकबे 2 लाख 2 हजार हेक्टेयर को ही इस साल के लिए प्रस्तावित कर दिया है। वर्ष 2021 में भी सोयाबीन का प्रस्तावित रकबा 2 लाख डेढ़ हजार हेक्टेयर ही था।