
अशोकनगर। कोतवाली परिसर में टावर पर फांसी के फंदे पर लटके मिले एएसआई सतीश रघुवंशी के शव को रघुवंशी समाज ने योजनाबद्ध तरीके से की गई हत्या बताया है। एएसआई की मौत के दो दिन बाद तीन जिलों की रघुवंशी समाज एकत्रित हुई और शहर में रैली निकालकर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही तीन जगहों पर धरना प्रदर्शन भी किया। वहीं कलेक्ट्रेट गेट पर समाज के युवाओं और पुलिस जवानों के बीच झूमाझटकी भी हुई।
एएसआई की मौत के दो दिन बाद भी कोई कार्रवाई न होने से अशोकनगर, गुना और शिवपुरी जिले के अलावा प्रदेश के कई स्थानों से रघुवंशी समाज के लोग सोमवार को एकत्रित हुए। रघुवंशी धर्मशाला के पास सडक़ पर बैठकर समाज के युवाओं ने धरना दिया और नारेबाजी की। इससे शहर में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
धर्मशाला से रैली निकालकर नारेबाजी करते हुए हजारों लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे। जहां कलेक्टर बीएस जामोद को राज्यपाल के नाम ज्ञापन देकर एसपी सहित सुसाइड नोट में शामिल सभी नामों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर शीघ्र गिरफ्तार करने, मृतक के स्थान पर समान पद पर उसके बच्चों को शासकीय नौकरी देने और मृतक के परिवार को तुरंत 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि दिए जाने की मांग की। वहीं कलेक्ट्रेट गेट पर समाज के युवाओं की पुलिस जवानों से झूमाझटकी हुई। हालांकि अन्य युवाओं ने मामला शांत कराया। रघुवंशी समाज ने राज्यपाल के नाम दिए ज्ञापन में एसपी पर सबूत मिटाने का आरोप लगाया है।
ज्ञापन में समाज का कहना है कि मृतक के सुसाइड नोट में पुलिस अधीक्षक का नाम नीली स्याही से कटा हुआ है एवं टीआई बीएस गौर, एसआई कौशल एवं तीन अतिरिक्त लोगों के नाम मृतक के हस्तलेख में हैं। समाज ने आरोप लगाया है कि सुसाइड नोट में पुलिस अधीक्षक का नाम पुलिस अधीक्षक ने खुद मिटाया है और सुसाइड नोट को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास किया।
रघुवंशी समाज ने यह उठाए सवाल और यह लगाए आरोप
- मृतक की वर्दी का बटन लटके हुए शव के नीचे पड़ा था, वर्दी के शर्ट के ऊपरी बटन खुले थे, दो मफलर नीचे पड़े थे। कोतवाली की छत पर घसीटने के निशान व एक रस्सी का टुकड़ा पड़ा था।
-दोनों थानों में सीसीटीवी कैमरे और संतरी लगे होने के बावजूद घटना घटित होना, योजनाबद्ध तरीके से पुलिस का यह कहना कि घटना किसी ने नहीं देखी।
- घटना के बाद एसपी द्वारा परिवार और रिश्तेदारों को सूचना दिए बिना और पंचों की मौजूदगी के बिना शव की तलाशी लेकर सुसाइड नोट और मोबाइल निकाल लिया और परिवारजनों को गुमराह किया गया कि शव के पास कोई वस्तु, पेपर अथवा भौतिक साक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ।
- सामाजिक दबाव के बाद सुसाइड नोट की फोटो कॉपी परिजनों को दी गई और मोबाइल जब्त होना बताया। इस तरह सबूत मिटाने का भरसक प्रयत्न किया गया।
- मृतक के सुसाइड नोट के बाद भी मौत के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी अपराध पंजीकृत नहीं हुआ और न ही किसी की गिरफ्तारी हुई।
भाजपा-कांग्रेस के पदाधिकारी शामिल
ज्ञापन देने के दौरान समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मंत्री हजारीलाल रघुवंशी ने अचानक कलेक्टर बीएस जामोद का हाथ पकड़ लिया और कहा कि साहब कार्रवाई होनी चाहिए, साथ ही कहा कि एसपी को हटाओ। वहीं भाजपा के पूर्व विधायक जगन्नाथसिंह रघुवंशी ने कहा कि यह खुदखुशी नहीं, कत्ल है।
उन्होंने कहा कि थाने में इस तरह का कृत्य सोचनीय विषय है और इससे भी बड़ा कृत्य है शव टंगे होने के बावजूद जेब से सामान निकालकर ले जाना और छिपाना। उन्होंने इसे षड्यंत्र बताया और सबूत छिपाने का आरोप लगाया। रघुवंशी समाज के विरोध प्रदर्शन में भाजपा-कांग्रेस के पदाधिकारी भी शामिल हुए। इसमें पूर्व विधायक वीरेंद्रसिंह रघुवंशी, राजकुमार रघुवंशी खजूरिया, सुधीर रघुवंशी शाढ़ौरा, श्याम रघुवंशी नईसराय, चंदेरी विधायक गोपालसिंह चौहान, जजपालसिंह जज्जी, महेंद्र भारद्वाज सहित कई लोग शामिल थे।
Published on:
26 Dec 2017 11:04 am
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