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तीन राज्य जीते, आक्रमकता भी अपनाई; फिर भी राहुल गांधी के पास नहीं दिखता हैं नए आंकड़ें और गंभीरता

तीन राज्य जीते, आक्रमकता भी अपनाई; फिर भी राहुल गांधी के पास नहीं दिखता है नया तथ्य और गंभीरता

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तीन राज्य जीते, आक्रमकता भी अपनाई; फिर भी राहुल गांधी के पास नहीं दिखता है नया तथ्य और गंभीरता

भोपाल. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल के दिनों में अपनी छवि में बड़ा बदलाव किया है। कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश समेत तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत दर्जकर खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में पेश किया है। तीन राज्यों में जीत के साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है। राहुल गांधी की कुछ आदतों के कारण उनपर सवाल खड़े हो जाते हैं। ताजा उदाहरण है राहुल गांधी के संसद में आंख मारने का। हालांकि ये दूसरा मौका है जब राहुल गांधी ने संसद में ऐसा काम किया है। राहुल जब भी किसी मुद्दे को लेकर आगे बढ़ते हैं कङीं ना कहीं उनसे कोई ना कोई ऐसी गलती हो जाती है जिस कारण उनकी छवि पर फिर से सवाल खड़े हो जाते हैं।

मध्यप्रदेश में भी मार चुके हैं आंख
राहुल गांधी ने जब संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गले लगाया था मानो उन्होंने मंच लूट लिया हो। हर तरफ राहुल गांधी के ही चर्चे थे लेकिन ठीक पांच मिनट के भीतर राहुल की सारी मेहनत में पानी फिर गया और राहुल ने अपने ही पार्टी के एक सांसद की तरफ देखते हुए आंख मार दी। इसके बाद राहुल के गले लगाने से ज्यादा चर्चा उनके मार मारने की हुई। राजनीतिक जानकारों ने यहां तक कह दिया कि राहुल कितनी भी कोशिश और दावे करें पर वो अभी पूरी तरह से राजनीति के लिए परफेक्ट नहीं हुए हैं। कई लोगों ने तो यहां तक कहा कि ऐसे नेता को अभी देश की बागडोर नहीं सौंपी जा सकती है जिसे सदन की गरिमा का भी ध्यान नहीं हो। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए राहुल गांधी ने भोपाल में रोड शो और रैली को संबोधित किया था। इस दौरान राहुल गांधी एक बार फिर भीड़ में आंख मारते हुए दिखाई दिए थे। राहुल गांधी के इस आंख मारने के दृश्य को शिवराज सिंह चौहान ने भुनाने की कोशिश भी की थी।


आक्रमकता तो ठीक पर तथ्यों की कमी
राहुल गांधी इन दिनों हर मुद्दे पर आक्रामक नजर आते हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भी राहुल ने अपनी रैलियों में आक्रमकता के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोला। उन्होंने राफेल और नोटबंदी जैसे मुद्दों पर सरकार को जमकर घेरा लेकिन इस दौरान हर बार राहुल कोई ना कोई गलती करते रहे। उन्होंने राफेल के मुद्दे में हाल ही में एक ऑडियो टेप चलाने की अनुमति लोकसभा अध्यक्ष से मांगी पर जब लोकसभा अध्यक्ष ने उनसे इस टेप की प्रमाणिकता की बात की तो राहुल शांत हो कर बैठ गए। राफेल पर ऑडियो टेप सही है या नहीं राहुल गांधी इसका प्रमाण लोकसभा स्पीकर को नहीं दे पाए।

जता चुके हैं भारत का प्रधानमंत्री बनने की इच्छा
राहुल गांधी कर्नाटक चुनाव को दौरान भारत का प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जता चुके हैं। लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर राहुल गांधी के पास इस पद को लेकर कितनी गंभीरता है। लोकसभा में बहस के दौरान राहुल गांधी कई बार संसदीय नियमों को तोड़ चुके हैं। इसके लेकर लोकसभा स्पीकर राहुल गांधी को यह तक यह चुकी हैं कि आप कुछ समझते तो हैं नहीं दूसरी तरफ लगातार भाजपा राहुल गांधी पर नासमझ होने का हमला करती है ऐसे में राहुल गांधी की यह गलतियां सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या राहुल गांधी में वाकई अभी तक गंभीरता की कमी है।

सिंधिया औऱ अहमद पटेल के समझाने पर मीडियो को किया था संबोधित
राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश चुनाव के दौरान वादा किया था कि हम किसानों का कर्ज दस दिनों के भीतर माफ कर देंगे। प्रदेश सरकार ने कर्ज माफ किया तो संसद भवन के बाहर मीडिया ने राहुल गांधी से कर्जमाफी को लेकर सवाल किया ऐसे में राहुल ने जवाब देने से पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल से राय ली फिर उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समझाया कि मीडिया के सामने क्या कहना है। सोशल मीडिया में यह वीडियो जमकर वायरल हुआ। राहुल गांधी ने कमलनाथ के वंदे मातरम पर रोक लगाने के निर्णय पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जबकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल गांधी र सीधा हमला करते हुए कहा था कि वंदे मातरम पर रोक क्या राहुल गांधी का निर्णय है। कमलनाथ के यूपी-बिहार वाले बयान पर भी राहुल ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जबकि राहुल खुद युवाओं को रोजगार देने और युवाओं को आगे लाने की बात करते हैं।