
Ramayana
भोपाल। गणतंत्र के अवसर पर लोकरंग का आयोजन 26 जनवरी से करेगा। आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा संयोजित और स्वराज संस्थान संचालनालय दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज, कला एवं संस्कृति विभाग, मणिपुर के सहयोग से होने वाले आयोजन का शुभारंभ भेल, दशहरा मैदान में शाम 7 बजे संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ करेंगी। शुभारंभ अवसर पर 26 जनवरी को गोण्ड आख्यान आधारित समवेत नृत्य-नाटिका रामयानी का मंचन सुमन साहा के निर्देशन में होगा और समारोह के अंतिम दिन 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर ख्यात सूफी गायक हंसराज हंस अपने साथी कलाकारों के साथ सूफी गायन प्रस्तुत करेंगे।
लोकरंग का यह 34वां वर्ष
लोकरंग में रामायनी की प्रस्तुति होगी। रामायनी मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति गोंड के महत्वपूर्ण आख्यानों में से एक है। रामायनी की कथा में लक्ष्मण को एक यति यानी संन्यासी के रूप में बताया गया है और उसके संन्यस्त जीवन को स्थानिक प्रतीकों, समस्याओं और सूझबूझ के साथ परीक्षण करने और उसके समाधान का वर्णन है। रामायनी का नायक लक्ष्मण है, जो गोण्ड जनजातीय चेतना में उसके बहुत नजदीक का बन पड़ता है। गोण्डों का यह मानना है कि जीवन तो वही है, जो दूसरों के लिए जिया जाए, ऐसे ही तमाम सत्यों को हम तक सम्प्रेषित करने के इन देशज उपायों की महाकथा रामायनी को हम पहली बार नृत्य-नाट्य के रूप में प्रस्तुत करेंगे।
देशान्तर में प्रस्तुति देंगे दो विदेशी दल
वहीं, 27 से 29 जनवरी को धरोहर और देशान्तर शीर्षक कार्यक्रमों के अंतर्गत राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर के कलाकार प्रस्तुतियां देंगे। धरोहर में मध्यप्रदेश तथा अन्य राज्यों के जनजातीय व लोकनृत्यों का प्रदर्शन किया जाता है। वहीं, देशान्तर में विदेशी सांस्कृतिक कलारूपों में संगीत तथा नृत्यों की प्रस्तुतियां होती हैं। धरोहर में इस बार मध्यप्रदेश सहित मणिपुर, नागालैण्ड, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात, उड़ीसा और त्रिपुरा राज्यों की आंचलिक संस्कृति की झलक देखी जा सकेगी। देशान्तर में प्रतिदिन दो प्रस्तुतियां विदेशी सांस्कृतिक दलों की होंगी। देशराग के अंतर्गत 27 से 29 जनवरी तक निमाड़ी, लांगुरिया, बुन्देली लोकगायन एवं पण्डवानी, राजस्थानी मांगणियार और उत्तरप्रदेश के आल्हा गायन की प्रस्तुतियाँ होंगी साथ ही साथ लोकराग अंतर्गत मध्यप्रदेश के आंचलिक गायन की भी प्रस्तुतियां होंगी। लोकरंग में विविध प्रकार के शिल्पों के मेले की एक विशिष्ट पहचान है। इस बार भी देश भर से 100 से अधिक शिल्पियों को निमंत्रित किया गया है, जो शिल्प मेले में पारम्परिक शिल्पों की बिक्री व प्रदर्शन करेंगे। वहीं, कठपुतली के खेल छोटे बच्चों के लिए उपलब्ध रहेंगे। कविता एवं कहानी लिखने, बोलने और पढऩे के आत्मविश्वास के लिए सत्र होंगे। यहां खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
Published on:
23 Jan 2019 08:39 am
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
