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टाइल्स पर स्वत: उकरा राम नाम

श्रीरामनाम बैंक में 16 अरब लेखन हो चुका है जमा

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Ram's name automatically engraved on tiles

मनाम सिद्ध पीठ पर विराजित भगवान।

बीना. शहर के खिरिया वार्ड स्थित श्रीरामनाम सिद्ध पीठ पर निरंतर 57 वर्ष से श्रीरामनाम कीर्तन और लेखन चल रहा है। कीर्तन का प्रभाव यहां दिखने लगा है और मंदिर में रहे टाइल्स पर दो जगह राम लिख गया है। यहां हर दिन बड़ी संख्या में लोग कीर्तन करने पहुंचते हैं और नियमित श्रीरामनाम लेखन भी करते हैं।
गुरुदेव पं. रामनाम महाराज हर समय श्रीरामनाम का जाप करते हैं और मंदिर में सुबह-शाम कीर्तन होता है। भगवान को अलग-अलग प्रकार का दिन में चार बार भोग लगाया जाता है। यहां लगातार हो रहे कीर्तन और श्रीरामनाम लेखन की महिमा से मंदिर में दो जगह टाइल्स पर राम नाम उकर आया है, जिसके दर्शन करने के लिए लोग पहुंचते हैं। श्रीराम नाम संकीर्तन में हर दिन बड़ी संख्या में लोग संकीर्तन करने पहुंचते हैं। मंदिर के श्रीरामनाम बैंक में सोलह अरब श्रीराम नाम हस्तलिखित रूप में है, जिसमें कई ग्रंथ भी शामिल हैं, जिसमें श्रीरामनाम लेखन में श्रीरामचरित मानस, गीता, भक्तमाल, भागवत पुराण, श्रीराम स्तुति जैसे ग्रंथ लिखे जा चुके हैं। बाल्मीकि रामायण भी श्रीरामनाम से लिखने का कार्य चल रहा है। भक्त घरों में श्रीरामनाम लेखन कर कॉपी बैंक में जमा करते हैं। संभवत: देश में एकल पीठ में इतना श्रीरामनाम संग्रह कहीं नहीं होगा। गृहस्थ संत पं. हरदेव प्रसाद महाराज अब श्रीरामनाम महाराज के नाम से जाने जाते हैं।

कई शहरों से आते हैं भक्त
श्रीराम नाम सिद्ध पीठ पर कई शहरों से भक्त आते हैं और अपनी मनोकामना को लेकर श्रीरामनाम का लेखन भी करते हैं। श्रीराम नाम लेखन और कीर्तन करने से ही लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। वहीं, गुरुदेव भी लेखन करने वालों की समस्याओं का समाधान करते हैं।

हर वर्ष निकलती है भव्य श्रीराम महाबारात
सिद्धपीठ से विवाह पंचमी हर वर्ष श्रीराम महाबारात निकलती है, जो क्षेत्र का सबसे बड़ा आयोजन हैं और इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होकर धर्मलाभ लेते हैं। साल दर साल महाबारात की भव्यता बढ़ती ही जा रही है और पूरे वर्ष इस आयोजन का इंतजार लोगों को रहता है।

कीर्तन में सबसे ज्यादा युवा, बच्चे होते हैं शामिल
सिद्धपीठ पर कीर्तन करने के लिए पहुंचने वाले भक्तों में युवा और बच्चों की संख्या ज्यादा रहती है। यहां से जुड़े युवा, बच्चों को अच्छे संस्कार मिल रहे हैं। गुरुदेव का उद्देश्य श्रीरामनाम कीर्तन से सद्मार्ग दिखाना है।