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वीडियो कॉल पर राजस्व कोर्ट की सुनवाई, वाट्सएप पर मिलेगी आदेश की प्रति

साइबर होंगी भोपाल की तहसीलें, नए साल में नामांतरण, बंटवारा पोर्टल मेें होगा अपलोड

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भोपाल. नए साल में राजधानी की हुजूर, बैरसिया और कोलार तहसीलें साइबर तहसील बन जाएंगी। अविवादित नामांतरण और बंटवारे के प्रकरणों को आसानी से निपटाने के लिए साइबर तहसील का गठन किया गया है। अब लोगों को नामांतरण, बंटवारे के प्रकरणों के लिए तहसील कार्यालय जाने की जरूरत नहीं होगी। वीडियो कॉल पर राजस्व कोर्ट की सुनवाई होगी और ऑनलाइन आवेदन पर व्हाट्सएप पर दस्तावेज की ई-कॉपी मिल जाएगी। इससे जनता को राहत मिलेगी, वहीं पटवारियों की तरफ से बेवजह लटकाकर रखे जाने वाले अविवादित आवेदन जल्द निपटेंगे। इसके दो फायदे होंगे, एक तो लोगों का तय समय सीमा में काम होगा, दूसरा तहसीलों में भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक लगाम कसी जा सकेगी।

अभी प्रदेश के 12 जिलों की तहसीलें साइबर
● यह व्यवस्था प्रदेश के 12 जिलों की 442 तहसीलों में लागू है। इसके माध्यम से अब तक 16 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है।

● इसकी शुरूआत 1 जून 2022 से सीहोर और दतिया जिले से की गई थी। कोई आपत्ति है तो इसमें ऑनलाइन वीडियो कॉल पर आपत्ति निराकरण की सुविधा है।

रजिस्ट्री होने के बाद ही नामांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे, इसके बाद आरसीएमएस पोर्टल पर प्रकरण दर्ज होने की सूचना मिलेगी। स्वचालित प्रणाली द्वारा विज्ञापन का प्रकाशन किया जाएगा। इसके बाद सारा एप पर पटवारी ऑनलाइन प्रतिवेदन के लिए पत्र लिखेगा। कोई दावा आपत्ति न होने पर केस तहसीलदार के पास जाएगा। साइबर तहसीलदार भू अभिलेख में नामांतरण को अपडेट कर आरसीएमएस पोर्टल पर भेजेंगे। एक प्रति आवेदक को ईमेल और वाट्सएप पर मिल जाएगी। इसमें खसरे तथा नक्शे में भी क्रेता का नाम चढ़ जाता है।

हर महीने ढाई से तीन हजार प्रकरण नामांतरण और बटान के
राजधानी की तीन तहसीलों में ही हर माह ढाई से तीन हजार आवेदन नामांतरण और बंटान के आते हैं। लोकसेवा गारंटी केंद्र से आवेदन होने के बाद ये तहसील में आते हैं और कई बार पटवारियों और आरआइ की रिपोर्ट में देरी के चलते लंबित रहते हैं। विवादित नामांतरण तो छह माह और साल भर से ’यादा तक पेंडिंग रहते हैं। यही सीएम हेल्पलाइन में अफसरों के गले की फांस बनते हैं।

साइबर तहसीलों में जनता के काम और तेज होंगे, नामांतरण और बंटवारे के केसों की पेंडेंसी कम होगी। इससे सीएम हेल्पलाइन के केसों की पेंडेंसी ’यादा नहीं रहेगी।

आशीष सिंह, कलेक्टर