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नोडल अफसर की निगरानी में सुधरेंगी सड़के, नई सड़कों का होगा निर्माण

MP News: प्रदेश के नगरों की मौजूदा और नई बनने वाली सड़कों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नगरीय विकास विभाग ने गाइडलाइन बनाई है। गाइडलाइन लागू करने और निगरानी के लिए प्रत्येक नगरीय निकाय में एक नोडल ऑफिसर बनाया जाएगा। विभाग के निर्देशों का पालन नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई होगी।

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नई सड़क। पत्रिका फाइल फोटो

MP News: प्रदेश के नगरों की मौजूदा और नई बनने वाली सड़कों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नगरीय विकास विभाग ने गाइडलाइन बनाई है। सड़कों का नियमित सर्वे किया जाएगा। बारिश के समय गड्ढों की मरम्मत कोल्ड बिटुमिनस मिक्स से की जाएगी। इसके साथ स्वतंत्र एजेंसी द्वारा थर्ड पार्टी क्वालिटी असेंसमेंट कराया जाएगा। गाइडलाइन लागू करने और निगरानी के लिए प्रत्येक नगरीय निकाय में एक नोडल ऑफिसर बनाया जाएगा। इसके साथ नगरीय विकास विभाग में भी एक मॉनीटरिंग सेल गठित होगा। हर महीने सभी निकायों को प्रगति रिपोर्ट विभाग को देना होगी। विभाग के निर्देशों का पालन नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई होगी।

नगरीय विकास विभाग ने बीते दिनों राजधानी में सड़कों की गुणवत्ता संबंधी कार्यशाला में प्रदेश के 600 इंजीनियर्स को प्रशिक्षण दिया। इसके बाद कार्यशाला में निकले निष्कर्षों के आधार पर नगरीय विकास आयुक्त संकेत भोंडवे ने गुणवत्ता संबंधी निर्देश जारी किए हैं।

शहरी सड़कों की गुणवत्ता इसलिए जरूरी

अधिकारियों के अनुसार, मप्र में लगभग 35 हजार किमी सड़कें हैं। लगभग ढाई करोड़ आबादी शहरी क्षेत्र में निवास करती है। शहरी क्षेत्र की सड़कें राजमार्गों से काफी अलग होती हैं। क्योंकि उन पर केवल यातायात का ही दबाव नहीं होता बल्कि इन सड़कों पर नगरीय क्षेत्र की अन्य अधोसंरचनाओं पार्किंग आदि का भी प्रभाव पड़ता है।

मौजूदा सड़कों की गुणवत्ता के लिए

  • सड़कों की स्थिति जांचने नियमित सर्वे कराया जाए।
  • मेंटेनेंस के काम में प्रीकास्ट आइटम्स का ज्यादा उपयोग किया जाए।
  • बरसात में सड़कों में होने वाले रेन कट, किनारों का टूटना और दरारे की तत्काल मरम्मत हो।
  • परफॉर्मेंस बेस्ड मेंटेनेंस कॉन्ट्रेक्त लागू किया जाए।

सड़क सुरक्षा के लिए यह निर्देश

  • सड़कों को फोरगिविंग रोड सिद्धांत से डिजाइन किया जाए। इसमें सड़कों पर ड्राइवर से कुछ चूक होने पर भी ज्यादा नुकसान नहीं होता है।
  • सभी सड़कों के मीडियन कर्व स्टोन को घुमावदार बनाया जाएगा, इनके कहीं भी तीखे किनारे नहीं हों।
  • सभी जंक्शन्स को इंडियन रोड कांग्रेस के मापदंडों के अनुसार सुधारा जाए।
  • रोड मार्किंग और संकेतक की डिजाइन ऐसी हो कि उसकी लाइफ कम से कम 10 साल हो।
  • सभी सड़कों पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था की जाए।

नई सड़कों के निर्माण के लिए

  • नई सड़कों की डीपीआर में ट्रैफिक लोड फोरकास्ट, हाइड्रोलोजिकल और मटेरियोलोजिकल अध्ययन कराया जाएगा। इसके आधार पर ड्रेनेज डिजाइन और जलवायु के असर को कम करने वाले फीचर भी शामिल किए जाएं।
  • सभी परियोजनाओं में 10 प्रतिशत सड़क सुरक्षा के लिए प्रावधान सुधार एवं निर्माण मद से रखा जाए।
  • सड़क निर्माण सीमेंट ग्राउंटेड बिटुमिनस मिक्स तकनीक से ही कराया जाएगा।
  • शहरों की अंदरूनी सड़कों पर व्हाइट टॉपिंग तकनीक लागू की जाएगी।
  • सड़क निर्माण में प्लास्टिक वेस्ट, फ्लाय ऐश, कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट जैसी पर्यावरण अनुकूल सामग्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • नई सड़क के निर्माण में स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम अनिवार्य रूप से शामिल हो ताकि सड़कों पर जलभराव नहीं हो।

डीपीआर में शामिल करें ट्रैफिक डेटा

  • डीपीआर में अवास्तविक ट्रैफिक डेटा जैसे सिर्फ एक दिन की गिनती को शामिल नहीं किया जाए।
  • डीपीआर का मास्टर डेवलपमेंट प्लान और सार्वजनिक परिवहन योजनाओं से समन्वय हो।
  • डीपीआर में फुटपाथ, साइकिल ट्रैक, स्ट्रीट लाइटिंग और जंक्शन के डिजाइन को शामिल किया जाए।
  • डीपीआर वास्तविक साइट पर आधारित हो। इसमें भूमि अधिग्रहण व यूटिलिटी के शिफ्टिंग में आने वाली लागत को भी शामिल किया जाए ताकि बाद में लागत नहीं बढ़े।