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देश को जेंडर समानता, सेम सेक्स मैरिज जैसे कई मुद्दों में फंसाकर बांटने का प्रयास किया जा रहा- रामलाल

- आरएसएस के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख ने ‘भारतीय परिवार व्यवस्था एवं वर्तमान चुनौतियां’ विषय पर किया प्रबोधन - इस अवसर पर ‘भारतीय जीवन दृष्टि और परिवार परम्परा’ और ‘चातुर्मास’ शीर्षक से पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ    

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देश को जेंडर समानता, सेम सेक्स मैरिज जैसे कई मुद्दों में फंसाकर बांटने का प्रयास किया जा रहा- रामलाल

देश को जेंडर समानता, सेम सेक्स मैरिज जैसे कई मुद्दों में फंसाकर बांटने का प्रयास किया जा रहा- रामलाल

भोपाल. देश को जेंडर समानता, सेम सेक्स मैरिज जैसे कई मुद्दों में फंसाकर बांटने का प्रयास किया जा रहा है। हमारे परिवार, उनकी महिलाएं, युवतियां, बच्चे इनके टारगेट पर हैं। ऐसे में परिजन मिलकर अपने बच्चों को इनके जाल में न फंसने दें। बच्चों के विकास में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान होता है। अपने बच्चों को भारतीय मूल्यों की शिक्षा दें। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल ने ‘भारतीय परिवार व्यवस्था एवं वर्तमान चुनौतियां’ विषय पर बोलते हुए कही। वे बुधवार को भोपाल के अर्चना प्रकाशन न्यास की ओर से सुभाष उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हुए पुस्तक लोकार्पण एवं व्याख्यान समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा आज परिवार को बाधक माना जाने लगा है। लोग कहते हैं परिवार में स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है, लेकिन सच तो यह है कि परिवार में लोग एक-दूसरे को संभालते हैं। परिवारवाद समाप्त होने से अराजकता उत्पन्न होती है। हमारे ऋषि-मुनियों की लिखी बातों को आज का आधुनिक विज्ञान सिद्ध कर रहा है। पाश्चात्य विश्व में व्यक्ति इकाई है, जबकि भारत में परिवार इकाई है।

परिवार एकजुट होकर चलना सिखाता है, वह सहायत है न कि बाधक
रामलाल का कहना है कि अंग्रेजों ने देश को लूटने, बांटने और हीन भावना में डालने का कार्य किया। अगर आपको भारत को समझना है तो इसे भारतीय दृष्टि देखें। आज भारत की संस्कृति को कुटुम्ब व्यवस्था ने सुरक्षित किया है। परिवार व्यवस्था का अपने यहां महत्व है। मनुष्य परिवार से ही धीरे-धीरे सीखता है। ज्ञान की प्रथम पाठशाला परिवार है। परिवार एकजुट होकर चलना सिखाता है, परिवार सहायक है न कि बाधक। हमारे परिवार कायदा नहीं व्यवस्था है, भय नहीं भरोसा है, शोषण नहीं पोषण है, संपर्क नहीं संबंध हैं। जब हम परिवार में रहते हैं तो सभी एकजुट होकर किसी भी प्रकार के आक्रमणों का सामना कर सकते हैं। जैसे पतंग को उसकी डोर ऊपर ले जाती है, ऐसे ही परिवार में एक-दूसरे का साथ हमें ऊंचाई पर पहुंचाता है, इससे कटें नहीं।

एक-दूसरे के सामंजस्य से चलता है परिवार, एक-दूसरे की सराहना करते चलें
संघ अभा संपर्क प्रमुख रामलाल ने एक्सेप्ट, एडजस्ट और एप्रिसियेशन करने की बात पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि परिवार में एक-दूसरे को स्वीकार करें, आपस में सामंजस्य बनाकर चलें और एक-दूसरे की सराहना करते चलें। वे बोले कि महर्षि अरविन्द कहते थे कि ईंट-पत्थर से परिवार नहीं बनता बल्कि नैसर्गिक विचारों से परिवार बनता है। रामलाल ने माता-पिता के त्याग और स्नेह का उदाहरण देते हुए शिव परिवार के विषय में बताया। कबीरदास जी का उदाहरण देते हुए कहा की परिवार सामंजस्य से चलता है। परिवार में किसी पर आक्षेप न करते हुए हमें सकारात्मक रहना चाहिए।

परिवारों की अक्षुण्णता बनी रहे इसलिए भारतीय मूल्यों पर चिंतन करना आवश्यक: मंत्री उषा ठाकुर
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और मप्र शासन की कैबिनेट मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा परिवारों की अक्षुण्णता बनी रहे, इसलिए भारतीय मूल्यों पर चिंतन करना आवश्यक है। हम सभी के पास ज्ञान का भंडार है, हम वेदों के उत्तराधिकारी हैं, सत्य सनातन को जानते हैं। अब इस प्राप्त ज्ञान को व्यवहारिक ज्ञान के रूप में धरातल पर उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी से भारत की पावन परम्पराओं व संस्कृति के लिए कार्य करने को कहा। साथ ही कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें भारत की भूमि जन्म के लिए मिली है।

शिरोमणि दुबे ओर रमेश शर्मा की पुस्तकों का हुआ विमोचन
कार्यक्रम में ‘भारतीय जीवन दृष्टि और परिवार परम्परा’ और ‘चातुर्मास’ पुस्तक लोकार्पण हुआ। इन दोनों पुस्तकों के लेखक क्रमश: शिरोमणि दुबे, प्रादेशिक सचिव, सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मप्र और वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा हैं। अपनी पुस्तकों के बारे में दोनों ही लेखकों ने विचार प्रकट किए। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मप्र शासन की संस्कृति, धर्मस्व एवं पर्यटन विभाग की मंत्री उषा ठाकुर, विशिष्ट अतिथि के रूप में संघ के मध्यभारत प्रांत के प्रांत संघचालक अशोक पाण्डेय, अर्चना प्रकाशन न्यास के अध्यक्ष लाजपत आहूजा उपस्थित रहे। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन की उपस्थिति रही।