
Rules for liquor stores
भोपाल। अब शराब बेचने से पहले शराब दुकानदारों को आबकारी विभाग के साथ खाद्य विभाग से भी लायसेंस लेना होगा। बिना फूड लाइसेंस लिए शराब बेचने पर विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पत्रिका ने 'आठ हजार करोड़ का कारोबार, न दुकानों का रजिस्टे्रशन, न जांचÓ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर बताया था कि किस तरह प्रदेश में शराब का गोरखधंधा चल रहा है। प्रदेश में शराब की 3684 दुकानें हैं। यही नहीं हर साल आठ हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है। फूड सेफ्टी एक्ट के तहत शराब दुकानों को भी खाद्य विभाग से रजिस्टर्ड होना चाहिए। ऐसा ना करने पर विभाग दुकानों के लाइसेंस निरस्त कर सकता है।
दो साल से नहीं लिए सैंपल
दुकानों पर बिक रही देसी और विदेशी शराब की गुणवत्ता सही है कि नहीं इसकी जानकारी किसी को नहीं है। फूड डिपार्टमेंट ने बीते दो सालों से किसी दुकान का सैंपल नहीं लिया। बीते साल प्रदेश में नकली शराब के 34 मामले सामने आए थे।
प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या
1060 विदेशी शराब दुकान
2624 देसी शराब दुकान
3684 कुल शराब दुकान
भोपाल शहर की स्थिति
18 विदेशी शराब दुकान
34 देसी शराब दुकान
52 कुल शराब दुकान
इनका कहना है-
खाने या पीने वाली कोई भी वस्तु फूड सेफ्टी एक्ट के तहत आती है। ऐसे में शराब विक्रेताओं को फूड एंड ड्रग विभाग का लायसेंस लेना जरूरी है। जिन दुकानदारों ने लाइसेंस नहीं लिया तो तय मियाद के बाद उन पर कर्रवाई की जाएगी।
डॉ. सुधीर जेसानी, सीएमएचओ
टीला जमालपुरा थाना पुलिस के मुताबिक संतोष हरिजन बस्ती में रहता है। संतोष के भाई बब्लू ने मोहल्ले में रहने वाले तीन बच्चों की मां और सतीश की भाभी को अपने साथ रख लिया, तब से दोनों पक्षों के बीच में विवाद चल रहा है। रविवार शाम को सतीश अपने भतीजे जय उर्फ अज्जू के साथ संतोष के घर पहुंचा। दोनों चाचा-भतीजे महिला से बात करने के लिए अड़े थे, संतोष ने विरोध किया तो चाचा-भतीजे ने संतोष को पीटा और चाकू घोंपकर फरार हो गए।
Published on:
29 Aug 2017 08:02 am
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