22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

साध्वी प्रज्ञा हिंदी में नहीं लिख पाईं राजस्थान, मदनलाल सैनी के निधन पर लिखा- हार्दिक श्रद्धांजलि

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 1996 में भिंड से एमए किया है। साध्वी प्रज्ञा अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं।

2 min read
Google source verification

भोपाल

image

Pawan Tiwari

Jun 25, 2019

Sadhvi Pragya Singh

भोपाल. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ( Sadhvi Pragya ) ठाकुर एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार साध्वी प्रज्ञा अपने एक ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया में ट्रोल होने लगी हैं। साध्वी प्रज्ञा सिंह सिंह ठाकुर ने अपने ट्विटर पर एक पोस्ट की है जिसमें उन्होंने हिंदी के कई शब्द गलत लिखे हैं। साध्वी के ट्वीट के साध से साध्वी सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गई हैं।

क्या लिखा है साध्वी ने
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने राजस्थान के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी के निधन पर शोक प्रकट करते हुए एक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने राजस्थान को "राजिस्थान" लिखा है।। वहीं, साध्वी ने अध्यक्ष भी गलत लिखा है। साध्वी ने अध्यक्ष को "अध्य्क्ष" लिखा है। इसके साथ ही उन्होंने शोक संदेश में हार्दिक श्रद्धांजलि लिखा है।

इसे भी पढ़ें- NIA कोर्ट से साध्वी प्रज्ञा सिंह को बड़ा झटका, कोर्ट ने राहत देने वाली याचिका को किया खारिज


सोशल मीडिया में हुईं ट्रोल
साध्वी के ट्वीट के बाद वो सोशल मीडिया में ट्रोल हो गई हैं। एक यूजर्स ने लिखा- हिंदी लिखना सीख जाओ। तो एक यूजर ने कहा- वर्तमान सांसद जी के द्वारा श्रद्धांजलि देने का नया तरीका। तो एक यूजर्स ने सलाह देते हुए कहा- आप देश की सांसद हैं थोड़ा सा तो हिंदी का ज्ञान रखिए।

क्या है साध्वी की शिक्षा
2019 के लोकसभा चुनाव में साध्वी प्रज्ञा ने निर्वाचन आयोग को हलफनामा दिया है उसमें उन्होंने अपनी शिक्षा एम.ए बताई है। साध्वी प्रज्ञा के हलफनामे के अनुसार वो 1996 में एमजेएस कॉलेज भिंड से एमए कर चुकी हैं।


सोमवार रात हुआ है मदनलाल सैनी का निधन
राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मदन लाल सैनी का सोमवार देर शाम दिल्ली में निधन हो गया था। सैनी ने 70-80 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक साधारण स्वयंसेवक और फिर भारतीय मजदूर संघ के जरिए मदन जी राजस्थान के मजदूरों की आवाज बने।