
साईं बाबा को ऐसे करें गुरुवार के दिन प्रसन्न, होगी हर मनोकामना पूरी!
भोपाल। साईं भक्तों के लिए गुरुवार का दिन काफी खास होता है। इसे माना साईं बाबा का दिन माना जाता है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी कई साई मंदिर हैं, जिनमें ई-7 में सांई की तकिया, 7नंबर स्टाप में साई मंदिर, पंजाबी बाग सहित कुछ अन्य जगह भी साई बाबा के मंदिर हैं। जहां हर गुरुवार को हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं।
मान्यता है कि साईं बाबा हमेशा सादा जीवन व उच्च विचार के सिद्धांत पर विश्वास करते थे। इसीलिए वे भक्तों पर भी अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। उनके व्रत-पूजन, उपवास व आरती के नियम बड़े ही सरल हैं, तो आप भी साई की भक्ति कर उन्हें प्रसन्न करें।
साई भक्त राकेश शर्मा के अनुसार साई बाबा का व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इस व्रत को करने के नियम भी अत्यंत साधारण हैं। साई बाबा अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। उनकी कृपा से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
वह कहते हैं कि मांगने से पहले ही वे सब कुछ देते हैं। उनके स्मरण मात्र से जीवन में आ रही बाधाओं में कमी होती है। कहा भी जाता है कि शिर्डी वाले श्री साई बाबा की महिमा का कोई और छोर नहीं है। माना जाता है कि साई बाबा पर पूरा विश्वास करने वालों को कभी निराशा का सामना नहीं करना पड़ता है।
ये है खास...
1. इस व्रत को सभी स्त्री, पुरुष और बच्चे कर सकते हैं।
किसी भी जाति या धर्म का व्यक्ति इस व्रत को कर सकता है।
2. मान्यता है कि यह व्रत बहुत ही चमत्कारिक है। सात या नौ गुरुवार विधिपूर्वक इस व्रत को करने से निश्चित ही इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
3. यह व्रत किसी भी गुरुवार को साई बाबा का नाम लेकर शुरू किया जा सकता है। जिस अभीष्ट कार्य के लिए व्रत किया जाए, उसकी धारणा सच्चे मन से करते हुए साई व्रत को करना चाहिए।
4. वहीं यदि कहीं आवश्यक काम से बाहर जाना पड़ जाए, तो भी इस व्रत को किया जा सकता है।
5. व्रत के समय स्त्रियों को मासिक धर्म की समस्या आ जाए अथवा किसी कारण से व्रत न हो पाए तो उस गुरुवार को 7 या 9 गुरुवार की गिनती में शामिल न किया जाए। उस गुरुवार के बदले अन्य गुरुवार को व्रत करके अपने व्रत पूरे करें, तत्पश्चात उद्यापन करना न भूलें।
पूजा विधि...
इसके तहत किसी आसन पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर साई की सिद्ध प्रतिमा रखकर चंदन या कुमकुम का तिलक लगाना चाहिए और उन पर पीले फूल का हार चढ़ाना चाहिए।
फिर अगरबत्ती और दीपक जलाकर साई व्रत की कथा पढ़नी चाहिए और साई बाबा का स्मरण करना चाहिए उसके बाद प्रसाद बांटना चाहिए। प्रसाद में कोई भी फल या मिठाई बांटी जा सकती है।
यह व्रत फलाहार लेकर, जैसे-दूध, चाय, फल, मिठाई अथवा एक समय भोजन करके भी किया जा सकता है।
सात या नौ गुरुवार को हो सके तो साई बाबा के मंदिर जाकर उनके दर्शन भी अवश्य करें और नियम से उनकी आरती में भी शामिल हों, नहीं तो घर पर ही श्रद्धापूर्वक साई बाबा की पूजा व आरती की जा सकती है।
साई बाबा व्रत उद्यापन विधि -
- जब भी आपके व्रतों की गिनती पूरी हो जाए तो आखिरी गुरुवार को उद्यापन करना चाहिए। इसमें पांच गरीब व्यक्तियों को भोजन अपनी सामथ्र्य के अनुसार कराएं।
- साई बाबा की महिमा और व्रत का फैलाव करने के लिए अपने सगे-संबंधियों या पड़ोसियों को इस व्रत की 5,11,21 पुस्तकें भेंट करें।
- इस व्रत की जो भी पुस्तकें भक्तजनों को भेंट देनी हैं, उन्हें पूजा में रखें और बाद में इन्हें श्रद्धालुओं को भेंट करें। जिससे अन्य व्यक्तियों की भी मनोकामना पूर्ण हो।
- विधि अनुसार व्रत एवं उद्यापन करने से निश्चित ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी। ऐसा साई भक्तों का असीम विश्वास है।
साई बाबा व्रत कथा :
कहा जाता है कि एक शहर में कोकिला नाम की स्त्री और उसके पति महेशभाई रहते थे। दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय था। दोनों में आपस में स्नेह और प्रेम था। पर महेश भाई में कभी-कभार झगड़ा करने की आदत थी।
इसके बावजूद कोकिला अपने पति के क्रोध का बुरा न मानती थी। वह धार्मिक आस्था और विश्वास वाली महिला थी। उसके पति का काम-धंधा भी बहुत अच्छा नहीं था।
इस कारण वह अपना अधिकतर समय अपने घर पर ही व्यतीत करता था। समय के साथ काम में कमी होने पर उसके स्वभाव में और अधिक चिड़चिड़ापन रहने लगा।
एक दिन दोपहर के समय कोकिला के दरवाजे पर एक वृद्ध महाराज आये। उनके चेहरे पर गजब का तेज था। वृद्ध महाराज के भिक्षा मांगने पर उसने उन्हें दाल-चावल दिए और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया।
बाबा के आशीर्वाद देने पर कोकिला के मन का दुख उसकी आंखों से छलकने लगा।
इस पर बाबा ने कोकिला को श्री साई व्रत के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत को नौ गुरुवार तक एक समय भोजन करके करना है। पूर्ण विधि-विधान से पूजा करना और साई बाबा पर अटूट श्रद्धा रखना। तुम्हारी मनोकामना जरूर पूरी होगी।
उन वृद्ध महाराज के बताये अनुसार कोकिला ने गुरुवार के दिन साई बाबा का व्रत किया और नौवें गुरुवार को गरीबों को भोजन भी दिया। साथ ही साई पुस्तकें भेंट स्वरूप दीं।
ऐसा करने से उसके घर के झगड़े दूर हो गये और उसके घर की सुख-शान्ति में वृद्धि हुई। इसके बाद दोनों का जीवन सुखमय हो गया।
एक बार उसकी जेठानी ने बातों-बातों में उसे बताया कि उसके बच्चे पढ़ाई नहीं करते यही कारण है कि परीक्षा में वे फेल हो जाते हैं। कोकिला बहन ने अपनी जेठानी को श्री साई बाबा के नौ व्रत का महत्त्व बताया। कोकिला बहन के बताये अनुसार जेठानी ने साई व्रत का पालन किया। उसके थोड़े ही दिनों में उसके बच्चे पढ़ाई करने लगे और बहुत अच्छे अंकों से पास हुए।
ये हैं साईं नाम के 12 मंत्र …
1. ॐ साईं राम ।
2. ॐ साईं गुरुवाय नम: ।
3. सबका मालिक एक है ।
4. ॐ साईं देवाय नम: ।
5. ॐ शिर्डी देवाय नम: ।
6. ॐ समाधिदेवाय नम: ।
7. ॐ सर्वदेवाय रूपाय नम: ।
8. ॐ शिर्डी वासाय विद्महे सच्चिदानंदाय धीमहि तन्नो साईं प्रचोदयात ।
9. ॐ अजर अमराय नम: ।
10. ॐ मालिकाय नम: ।
11. जय-जय साईं राम ।
12. ॐ सर्वज्ञा सर्व देवता स्वरूप अवतारा ।
Updated on:
08 Aug 2018 06:30 pm
Published on:
31 May 2018 12:00 am
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