
व्यवस्था पर हमला... कैसे हो रही युवाओं की प्रतिभा का हत्या
सरकार ने सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक अधिकारियों- कर्मचारियों की संस्था सपाक्स को दो साल बाद भी मान्यता नही दी है। कर्मचारी संगठन को मान्यता न मिलते देख सपाक्स राजनीति दल के तौर पर मैदान में आ गयी है। संघठन ने चुनाव आयोग में राजनीतिक दल की मान्यता के लिए भी आवेदन किया है।
सपाक्स के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि राज्य सरकार सपाक्स के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। वहीं दूसरी और अजाक्स संगठन को सारी सुविधाएं, कार्यालय के लिए सरकारी भवन दिया है। इतना ही नही सरकार हर बार अजाक्स के साथ खड़ी दिखाई देती है। अब उन्हें उनके कार्यालय के लिए वल्लभ भवन के पास जमीन देने की तैयारी है। सपाक्स के त्रिवेदी ने कहा, सपाक्स इसके विरोध में आंदोलन करेगा।
सपाक्स कर्मचारी संगठन ने सामान्य प्रशासन विभाग को मान्यता देने के लिए 2 वर्ष पहले से आवेदन दे रखा है लेकिन जिस तरह से प्रदेश में सपाक्स जन-जन तक पहुंच रहा है और उसकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, ऐसा लगता है कि सरकार ने उससे घबराकर मान्यता वाली प्रस्ताव की फाइल को ही गायब करवा दी है।
सपाक्स के विरोध में उतरा अजाक्स
सपाक्स आंदोलन को जोर पकडता देख अब एससी—एसटी कर्मचारियों का संगठन अजाक्स भी मैदान में उतर आया है। उसने 23 सितंबर को रैली निकालने का ऐलान किया है। साथ में अजाक्स संगठन ने ये भी आव्हान किया है कि वे सवर्ण प्रत्याशी को वोट नहीं देंगे; प्रदेश में अजाक्स और सपाक्स की खींचतान ने भाजपा और कांग्रेस की बैचेनी बढा दी है। दरअसल दोनों पार्टियां चाहती हैं कि दोनों संगठन उनका सहयोग करें, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव के परिणाम रोचक रह सकते हैं।
प्रदेश में अजाक्स और सपाक्स की खींचतान ने भाजपा और कांग्रेस की बैचेनी बढा दी है। दरअसल दोनों पार्टियां चाहती हैं कि दोनों संगठन उनका सहयोग करें, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव के परिणाम रोचक रह सकते हैं।
Published on:
11 Sept 2018 12:07 pm
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