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तीन जिलों में एससी घोषित इस समुदाय को बाकी जगहों पर ओबीसी का दर्जा

एक बिरादरी की प्रदेश में दो पहचान, तीन जिलों में एससी एसटी बाकी में ओबीसी, मालवीय समाज को जाति प्रमाण पत्र में आ रही दिक्कत, सुधार कराने ज्ञापन

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भोपाल. मध्यप्रदेश में विभिन्न जिलों में एससी,एसटी और ओबीसी में कई विसंगतियां हैं. योजनाओं का फायदा जाति के आधार पर ही दिया जाता है लेकिन इसके प्रमाण पत्र बनवाने में युवा परेशान हो रहे हैं। इसके पीछे मुख्य कारण शासन के ही नियम कायदे हैं। जहां कुछ समाज कुछ जिलों में एससी में शामिल हैं, तो कुछ जिलों में ओबीसी में शामिल हैं. ऐसी विसंगति के कारण लोग परेशान हो रहे हैं और इसे लेकर सामाजिक संगठन आवाज बुलंद भी कर रहे हैं, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए कई जातियों के युवाओं को परेशान होना पड रहा है। इनमें मालवीय समाज भी शामिल है जिसके युवाओं ने इस संबंध में बाकायदा शिकायत दर्ज कराई। इन्होंने बताया कि जातिगत कानूनी विसंगतियों के चलते युवा परेशान हैं।

दरअसल मालवीय समाज को एमपी के तीन जिलों में एससी घोषित किया गया है लेकिन अन्य जगहों पर ये ओबीसी ही माने गए हैं. समाज को भोपाल रायसेन और सीहोर में एससी का दर्जा है जबकि इन जिलों से बाहर ओबीसी। एक ही समाज के युवाओं के साथ प्रदेश में दोहरे नियम हैं। इसमें सुधार को लेकर मुहिम चल रही है।

इस विसंगति के कारण कई योजनाओं का लाभ समाज के हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है। ऐसी दिक्कतों से निपटने के लिए ओबीसी वर्ग के संगठन मप्र पिछड़ा वर्ग अधिकारी एवं कर्मचारी संघ तथा ओबीसी यूनाइटेड फ्रंट ऑफ इंडिया ने तीन माह पहले शिविर आयोजित किया था, जिसमें आई शिकायतों का निराकरण नहीं हो पाया।

मालवीय समाज के प्रवक्ता प्रकाश मालवीय के मुताबिक तीन जिलों को छोड़कर शेष जिलों में हमारा समाज ओबीसी वर्ग में शामिल है। इसके कारण अन्य जिलों के लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। संपूर्ण प्रदेश में रजक समाज को अजा में शामिल करने की मांग हो रही है।