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18 बरस बाद भी शासकीय स्कूल को नहीं मिल सका भवन

-ओम नगर बस्ती में प्राइमरी स्कूल संचालित हो रहा जर्जर सामुदायिक भवन में

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18 बरस बाद भी शासकीय स्कूल को नहीं मिल सका भवन

कोलार. नौनिहालों को बेहतर शिक्षा एवं आवश्यक संसाधन मुहैया कराने के लिए सरकार सालाना करोड़ों रुपए खर्च करती है, पर राजधानी में ही कई ऐसे शासकीय स्कूल हैं, जिन्हें आज तक बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं। अधिकतर स्कूलों को खुद का भवन तक मुहैया नहीं कराया जा सका है। कोलार स्थित वार्ड 83 के ओम नगर में बरसों पहले प्राथमिक शाला शुरू तो की गई थी, पर भवन नहीं होने के कारण दस साल से सामुदायिक भवन में ये स्कूल लगाया जा रहा है। इस स्कूल को 18 साल पहले शुरू किया गया था।


टपकती छत के नीचे लग रही कक्षाएं
वार्ड 83 स्थित ओमनगर के जिस सामुदायिक भवन में प्राथमिक स्कूल संचालित हो रहा है वो भवन पूरी तरह जर्जर हो गया है। इस स्कूल में २३० बच्चे अध्ययनरत हैं। बारिश में सामुदायिक भवन की छत से पानी रिसता है। इसके अलावा परिसर में जलभराव के कारण आवाजाही तक मुश्किल हो जाती है। इस भवन में तीन कक्ष हैं जहां कक्षाएं लगाई जाती हैं। स्टाफ के मुताबिक सामुदायिक भवन की दीवारें और छत जर्जर हो चुकी हैं, इसकी शिकायत कई बार अधिकारियों से की गई है, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।


हादसे की बनी रहती है आशंका
स्कूल स्टाफ के मुताबिक सामुदायिक भवन का मेन्टेनेंस नहीं होने से ये जर्जर हो चुका है, बारिश में छत से होने वाले पानी के रिसाव एवं दीवारों में आए क्रेक के कारण हादसों की आशंका बनी रहती है। स्थानीय पार्षद मनफूल मीणा के मुताबिक कई बार जिम्मेदार अधिकारियों को इस संबंध में शिकायत की गई है, पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

क्लास और स्टाफ रूम एक ही
सामुदायिक भवन में उपलब्ध तीन कक्षों में से एक को स्टाफ रूम में तब्दील किया गया है। यहीं कक्षा भी लगाई जाती है। स्कूल का सामान रखे होने के कारण यहां बच्चों को बैठने तक के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है। हैड मास्टर अरुणा जोशी के मुताबिक अतिरिक्त कक्ष नहीं होने के कारण स्टाफ और क्लास रूम एक ही है।


बगैर गेट के शौचालय
प्राथमिक स्कूल की बदहाली का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यहां बनाए गए शौचालय में गेट तक नहीं हैं। स्टाफ ने कई बार गेट लगवाने के लिए आवेदन दिया है, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

नगर निगम एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्कूल भवन के निर्माण के लिए कई बार आवेदन दिए गए हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अधिकारियों को बच्चों की समस्या पर ध्यान देना चाहिए।
मनफूल मीणा, अध्यक्ष, जोन 18