18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

स्काउट गाईड से मिलती है जीवन जीने और सेवा भाव की सीख

स्काउट गाईड डे स्पेशल : बच्चों को टॉपर बनाने की जगह स्वयं निर्भर करने की करें पहल

2 min read
Google source verification
dovelepment

स्काउट गाईड से मिलती है जीवन जीने और सेवा भाव की सीख

भोपाल/संत हिरदराम नगर. स्काउट गाईड की स्थापना बच्चों के कौशल विकास व आत्मनिर्भर बनाने के लिए 1909 में भारत में की गई थी। लेकिन चिन्ता का विषय है कि अभिभावकों के कारण बच्चे इससे दूर होते जा रहे हैं। स्काउट गाईड बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाती है और स्वयं निर्भर बनाकर खाना बनाना, काम करना, लोगों और देश सेवा करना सहित अन्य गतिविधियों में निखारती है।

लेकिन मौजूदा समय में बच्चों का इसके प्रति रुझान कम होता जा रहा है। भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित भारत स्काउट एंड गाईड के जिला सचिव गौरव शुक्ला ने बताया कि माता-पिता अपने बच्चों को इससे दूर करते जा रहे हैं। छोटी सी उम्र में तो स्कूलों में शिविर लगाकर बच्चों को प्रेरणा दी जाती है लेकिन जब बच्चा 9वीं क्लास में पहुंच जाता है तो माता-पिता उसे शिक्षा के क्षेत्र में ही ध्यान देने के लिए कहते हैं। ऐसे में टॉपर बनाने के चक्कर में वह स्वयं आत्मनिर्भर नहीं हो पाता है। ऐसे में बच्चों की इसके प्रति रुचि कम होती जा रही है।

सिद्धांत
1. ईश्वर के प्रति कर्तव्य का पालन
2. दूसरों के प्रति कर्तव्य का पालन
3. स्वयं के प्रति कर्तव्य का पालन

कार्य क्षेत्र : प्रणेता बेडेन पांवेल द्वारा बताए गए
1. चरित्र निर्माण : स्वावलंबन और आत्मविश्वास
2. समाज सेवा : दूसरों की सेवा और नित्य एक भलाई का काम
3. स्वास्थ्य : आरोग्य के नियम
4. हस्त कौशल : तरह-तरह के कौशलों का ज्ञान
5. धार्मिकता : ईश्वर में विश्वास और अपने धार्मिक नियमों का पालन तथा दूसरों के धार्मिक विश्वासों का सम्मान करना सिखाता है।

जुड़कर कर सकते हैं सेवा कार्य
बच्चे, युवा, बुजुर्ग इससे जुड़कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेवा कार्य कर सकते हैं। बच्चों का विकास, उन्हें देश व समाजसेवा के लिए प्रेरित करने और आदर्श नागरिक बनाने के उद्देश्य को लेकर स्काउट-गाइड की शुरुआत की गई थी। देश भर में जगह-जगह इसका संगठन काम कर रहा है। इसका लक्ष्य है कि ट्रेनिंग प्राप्त छात्र-छात्राएं आजीवन इससे जुड़े रहकर सेवा कार्य कर सकते हैं। इस संस्था के अंतर्गत बच्चों का सर्वागींण विकास किया जाता है।

समाजसेवा के लिए करते है प्रेरित
उन्हें शारीरिक, मानसिक रूप से मजबूत बनाने के साथ ही देश, समाज की सेवा के लिए विशेष रूप से प्रेरित किया जाता है। इसके माध्यम से समय-समय पर शिविर लगाकर पौधरोपण, स्वच्छता अभियान, राष्टीय, सामाजिक, धार्मिक आयोजनों में सेवा देना, किसी आपदा में लोगों की सहायता में जुटना आदि काम किए जाते हैं।