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उमा के तप से प्रसन्न होकर शिव करते हैं आनंद तांडव

शक्ति की महिमा पर केन्द्रित समारोह सिद्धा में कथक और गायन का आयोजन

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उमा के तप से प्रसन्न होकर शिव करते हैं आनंद तांडव

भोपाल। संस्कृति विभाग और आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी के संयोजन से मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में शक्तिकी महिमा पर केन्द्रित तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह सिद्धा में चिरजा गायन और कथक शैली में साध्वी देवी के स्वरुप पर आधारित नृत्याभिनय की प्रस्तुतियां संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच पर हुईं। कार्यक्रम की शुरुआत नेहा चारण ने अपने साथी कलाकारों के साथ चिरजा गायन से की।

उन्होंने बंदिश तेरो चाकर करे पुकार प्रस्तुत करते हुए करनल किनियाणी श्री चरणाम, हिवड़ो हरषायो, निहारा राज री बाट, अब तो सुनले, किनियाणी थारी सूरत प्रस्तुत किया। इसके बाद खम्मा-खम्मा इन्द्र बाई प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नेहा चरण ने अपने साथी कलाकारों के साथ बार-बार करूँ विनती और भैरवनाथ केंद्रित बंदिश प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया।

देवी उमा की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रगट होते हैं और वरदान देते हैं कि भगवान शिव आपको पति रूप में मिलेंगे। शिवजी प्रगट होते हैं और आनंद तांडव करते हैं। तांडव के बाद देवी उमा को आशीर्वाद देते हैं कि तुम्हारी उपासना से मनुष्यों में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होगी। तुम्हारी कृपा से भक्तों को सर्वत्र सिद्धी और विजय की प्राप्ति होगी।