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Breaking : शिवराज सिंह नहीं बनेंगे नेता प्रतिपक्ष!

6 जनवरी को तय होगा नाम...

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shivraj singh

Breaking : शिवराज सिंह नहीं बनेंगे नेता प्रतिपक्ष!

भोपाल@आलोक पांड्या की रिपोर्ट...

मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता कांग्रेस के हाथ में आई, ऐसे में नेता प्रतिपक्ष के रूप में शिवराज सिंह का नाम लगातार चर्चाओं में बना हुआ था।

इन्हीं चर्चाओं के बीच शिवराज सिंह ने ये कहते हुए सबको चौंका दिया है कि वे नेता प्रतिपक्ष नहीं बनेंगे। दरअसल पूर्व सीएम शिवराज सिंह का कहना है कि मुझे छोड़ कर ही कोई नेता प्रतिपक्ष बनेगा। मैं दूसरी भूमिका में रहूंगा, मैंने हाईकमान से कहा है किसी और को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाय।

सामने आ रही जानकारी के अनुसार अब इसे लेकर 6 जनवरी को नाम तय होगा।

अब तक ये थी स्थिति....
सत्ता में डेढ़ दशक तक रहने के बाद भाजपा अब विधानसभा में विपक्ष की भूमिका निभाएगी। जानकारों की माने तो मतदाताओं ने पहली बार सशक्त विपक्ष के रूप में भाजपा के 109 विधायकों को चुनकर भेजा है।

वहीं अभी कुछ समय तक नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान , गोपाल भार्गव और डॉ. नरोत्तम मिश्रा का नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहे थे, लेकिन शिवराज द्वारा मना कर दिए जाने के बाद अब जानकारों का मानना है कि नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में गोपाल भार्गव और डॉ. नरोत्तम मिश्रा नाम ही रह गया है।

ऐसे होता है फैसला
नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा, इसका फैसला भाजपा संसदीय दल की बैठक में होता है। जिसके तहत अब यह नाम 6 जनवरी को तय होगा। वहीं पार्टी हाईकमान ने फिलहाल इस मुद्दे पर 'वेट एंड वाच" वाली मुद्रा अपना रखी थी।

वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष का पद भसी विपक्ष को दिए जाने की परंपरा है। इसलिए इस पद के लिए भी भाजपा विधायक दल में सुगबुगाहट का दौर जारी है। भाजपा शासनकाल में यह पद विंध्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. राजेंद्र सिंह के पास था।

विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा को विंध्य अंचल से उम्मीद से ज्यादा सीटें मिली हैं, इसलिए इस बात की संभावना है कि उपाध्यक्ष की ताजपोशी के लिए पार्टी के वरिष्ठ विधायक केदार शुक्ला अथवा राजेंद्र शुक्ला का नाम आगे बढ़ा दिया जाए।

वहीं 7 जनवरी को नई विधानसभा का सत्र शुरू होगा, उस दिन सभी विधायकों की शपथ होगी। उसके अगले दिन राज्यपाल का अभिभाषण होगा। भाजपा में यदि तब तक नेता प्रतिपक्ष के नाम का फैसला नहीं हो पाता है तो कार्यवाहक के रूप में किसी वरिष्ठ सदस्य को मनोनीत किया जा सकता है।