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श्रमिक स्पेशल ट्रैन में मज़दूरों से लिये टिकट के पैसे, सरकार के निर्देशों की उड़ी धज्जियां

ट्रेनों में सवार होने से पहले मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई, जिसके बाद उन्हें प्रोटेक्टिव गियर्स दिए गए। एक कोच में सिर्फ 54 यात्रियों के बैठने की ही इजाजत थी।

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श्रमिक स्पेशल ट्रैन में मज़दूरों से लिये टिकट के पैसे, सरकार के निर्देशों की उड़ी धज्जियां

भोपाल/ तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन लगाया गया। हालांकि, ये बचाव का सबसे बेहतर तरीका है। लेकिन, इस लॉकडाउन का बड़ा नुकसान हुआ देश के उन गरीब मजदूरों को, जिनके काम-रोजगार बंद हो गए हैं। फिलहाल, लंबी जद्दोजहद के बाद सरकार ने इन परेशान हो रहे प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने की व्यवस्था की, जिसके लिए देशभर में 6 अलग अलग ट्रैनें चलाई गई। इसमें से एक ट्रैन महाराष्ट्र के नासिक से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल भी पहुंची। इस दौरान सामने आया कि, श्रमिक स्पेशल ट्रैनों में मजदूरों से भी टिकट का किराया वसूला गया। जबकि, नियमानुसार राज्य सरकार ने इन टिकटों की कीमत देना थी।

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वसूले गए इतने रुपये

महाराष्ट्र के नासिक से भोपाल पहुंचने वाले प्रवासियों के मुताबिक, भोपाल पहुंचने से पहले ही उनसे 305 रुपये के टिकट के एवज में 315 रुपये हर यात्री के हिसाब से वसूले गए। मजदूरों की मानें तो उनसे कहा गया था कि, उन्हें बस ट्रैन में बैठना है और कुछ नहीं करना। ट्रेन उन्हें फ्री में भोपाल तक पहुंचाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, यात्रियों को बीच ट्रेन में खाना भी परोसा गया था। बता दें कि लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद राज्य सरकारों के अनुरोध पर रेलवे ने शुक्रवार को देशभर में छह स्पेशल ट्रेनें चलाई थीं। उन्हीं में से एक ट्रेन नासिक से भोपाल आई है।

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केन्दर का निर्देश किसने तोड़ा?

हालांकि, इन मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने से पहले केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइड लाइन में ये स्पष्ट किया गया था कि, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए यात्री को किराये का भुगतान नहीं करना। ये खर्च या तो उस राज्य की सरकार को वहन करना होगा, जहां से प्रवासी जा रहे हैं या फिर उस राज्य की सरकार को करना होगा, जहां ये प्रवासी जा रहे हैं। हालांकि, भोपाल पहुंचने वाली ट्रेन के यात्रियों के साथ तो ऐसा नहीं हुआ। साथ ही, रेलवे ने भी इन छह ट्रेनों में स्लीपर क्लास के किराये के अलावा 30 रुपये का सुपर फास्ट चार्ज भी जोड़कर टिकट दिया, साथ ही 20 रुपए टिकट के नाम पर भी वसूले गए। इन पैसों के एवज में खाना उपलब्ध कराने की सुविधा भी शामिल थी।

इस व्यवस्था के साथ ट्रैन में चढ़े थे यात्री

बता दें कि, शुक्रवार को अलग अलग राज्यों से अपने घर पहुंचने की उत्सुक्ता रखने वाले सभी यात्रियों की ट्रैन में सवार होने से पहले थर्मल स्क्रीनिंग की गई। साथ ही, उन्हें प्रोटेक्टिव गियर्स भी बांटे गए। इसके अलावा, राज्य सरकार और रेलवे की ओर से सभी यात्रियों को एक कोच में अधिकतम 54 यात्रियों के बैठने की ही परमीशन दी, ताकि सफर के दौरान यात्रियों की सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन रहे। यात्रियों को रास्ते के लिए भोजन और पानी भी उपलब्ध कराया गया था। हालांकि, ये चार्ज भी टिकट के साथ जोड़ दिया गया था।

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चलाई गईं ये स्पेशल ट्रैनें

शुक्रवार को जिन छह ट्रेनों का परिचालन किया गया उनमें पहली ट्रेन तेलंगाना के लिंगमपल्ली स्टेशन से झारखंड के रांची में हटिया स्टेशन तक चलाई गई। इनके अलावा केरल के अलुवा से ओडिशा के भुवनेश्वर, महाराष्ट्र के नासिक से यूपी के लखनऊ, नासिक से भोपाल, राजस्थान के जयपुर से बिहार के पटना और राजस्थान के कोटा से झारखंड के रांची तक स्पेशल ट्रेन शामिल थी। इन ट्रेनों के सफल संचालन के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि देशभर में इसी तरह की और स्पेशल ट्रेनें लॉकडाउन के दौरान चलाई जा सकती हैं।

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ट्रेनों के संचालन के लिए केन्द्र सरकार की ओर जारी की गई थी गाइडलाइन

-यात्री नॉनएसी कोचेज में सफर करेंगे, हर कोच के एक सेगमेंट में 6 यात्री रहेंगे, आमतौर पर एक सेगमेंट में 8 यात्री बैठते हैं।