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रेडिमेड मेहंदी के गंभीर साइड इफैक्ट, घर में ऐसे तैयार करें रचनी मेहंदी

ध्यान दें आजकल बाजार में मिलने वाली आर्टिफिशियल मेहंदी स्किन और श्वास संबंधी रोगों का शिकार बना रही है...

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भोपाल। त्योहार का सीजन है, जन्माष्टमी के बाद अब गण्ेाश चतुर्थी, नवरात्रि फिर दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। इस बीच मांगलिक उत्सव, और शादियां यानी हर दिन खुशियों का है। इन खुशियों के बीच मेहंदी का रंग हर उम्र की लड़कियों, महिलाओं के हाथ पैरों की सुंदरता बढ़ाता है। पर ध्यान दें आजकल बाजार में मिलने वाली आर्टिफिशियल मेहंदी स्किन और श्वास संबंधी रोगों का शिकार बना रही है। डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. एनके सिंह आपको बता रहे हैं आर्टिफिशियल मेहंदी से होने वाले नुकसान तथा ब्यूटी एक्सपर्ट पी. सिकलवार दे रही हैं घर में ही गहरी रचने वाली मेहंदी बनाने आसान के टिप्स...

ऐसे पूरी होती थी मेहंदी की परंपरा

कुछ समय पहले तक मेहंदी की पत्तियों को सुखाकर उन्हें पीसा जाता था और दिनभर भीगोने केबाद शाम को अपने काम से फ्री होकर सभी मेहंदी कोण या फिर उंगलियों और लकड़ी के तिनके से हाथों पर मेहंदी सजाई जाती थी।

रेडिमेड मेहंदी का बढ़ा चलन

न पीसने की मेहनत और न ही भिगोने का झंझट और रंग चढ़े चोखा। इसी तर्ज पर आजकल बाजार में रेडिमेड मेहंदी के कोण उपलब्ध हैं।

ऐसे बिगाड़ देगी सेहत

डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. एनके सिंह कहते हैं कि इस रेडिमेड मेहंदी के इस्तेमाल से एक्यूट कंपार्टमेंट सिंड्रोम के मामले सामने आ रहे हैं। जानें क्या है एक्यूट कंपार्टमेंट सिंड्रोम?

एक्यूट कंपार्टमेंट सिंड्रोम

यह बीमारी हाथ पैर की हड्डियों में फ्रैक्चर या गंभीर चोट लगने के कारण होती है। इसमें हाथ या पैर के हिस्से में रक्त संचार प्रभावित होने लगता है। इस वजह से कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। एक समय बाद स्थिति ये होती है कि हाथ या पैर काटने पड़ सकते हैं। ऐसे में कई बार मरीजों की जिंदगी भी खतरे में पड़ जाती है।

ये साइड इफैक्ट भी हैं गंभीर

* बाजार में उपलब्ध रेडिमेड *मेहंदी से कई तरह के रिएक्शन हो सकते हैं।

* मेहंदी का रंग अधिक से अधिक गहरा हो, इसके लिए मेहंदी में कई तरह के केमिकल्स, डाई और कलर्स मिलाए जाते हैं।
* इन्हीं केमिकल्स से एलर्जी और इनफेक्शन हो सकता है।
* इसे एलर्जिक कॉन्टेक्ट डर्माटाइटिस कहते हैं।
* ध्यान दें जब आप हाथों में मेहंदी लगाएं और यदि कुछ समय बाद ही हाथ या पैरों में रेडनेस, सूजन और फफोले या छाले हो जाएं, तो आप एलर्जिक कॉन्टेक्ट डर्माटाइटिस के शिकार हो गए हैं।
* इन छालों में बैक्टीरिया पैदा होने से इंरिटंट डर्माटाइटिस हो जाता है।
* इस मेहंदी की वजह से एसीडी गज बहुत दुर्लभ है।
* अगर किसी पेशेंट को एलर्जिक डर्माटाइटिस हो जाए, तो इसका ट्रीटमेंट लंबा चलता है।
* इसके अलावा इलाज होने के बाद भी समस्या लंबे समय तक रह सकती है या दोबारा उठ सकती है।
* अगर एलर्जी और रिएक्शन कम है, तो मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल ही काफी है, लेकिन अगर समस्या बड़ी है, तो एंटिएलर्जिक मेडिसिन, कभी-कभी स्टीरॉयड और एंटिबॉयोटिक्स देने की भी जरूरत पड़ती है।
* यह भी देखा गया है कि जिस हिस्से में मेहंदी की वजह से रिएक्शन होता है वह हिस्सा ब्लैक या ह्वाइट हो जाता है। ह्वाइट स्पॉट्स को पोस्ट इन्फ्लेमेंट्री ल्युकोडर्मा कहते हैं।
* इस केस में मेहंदी वाली जगह का मिलेनिन खत्म हो जाता है। 90 प्रतिशत केस में 2-3 माह ट्रीटमेंट लेने पर समस्या ठीक हो सकती है।

रेडिमेड मेहंदी लगाते समय इनन बातों का रखें ध्यान
* कभी भी कटी-फटी या चोट लगी स्किन पर इस मेहंदी का इस्तेमाल न करें।
* चोट लगे हाथों या पैरों में इसके इस्तेमाल से पहले उस अंग में दर्द की शिकायत शुरू होती है, फिर सूजन आ जाती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जिसमें महिला ने उंगली की चोट के बावजूद मेहंदी लगा ली थी।

* दो दिन बाद हाथ में दर्द शुरू हुआ फिर सूजन आ गई। डॉक्टर को दिखाया और पूरी बात भी बताई। तब सामने आया कि मेहंदी में मौजूद केमिकल कट के माध्यम से खून के संपर्क में आया और रक्तसंचार प्रभावित हो गया। इस केस में महिला के हाथ का ऑपरेशन करना पड़ा। महिला को कलाई और अंगुलियों के मूवमेंट के लिए फिजियोथैरेपी का सहारा लेना पड़ा।

इन केमिकल्स से तैयार होती है मेहंदी

इस रेडिमेड मेहंदी का रंग गहरा करने के लिए इसमें केमिकल मिलाए जाते हैं। इन केमिकल्स में पीपीडी (पारा-फेनाइलनेडिमाइन) केमिकल डाला जाता है। यही केमिकल मेहंदी के रंग को गाढ़ा करता है। इससे त्वचा पर एलर्जी, फफोले और सांस का संक्रमण जैसी समस्याएं होती हैं।

इसके तुरंत रिएक्शन करने पर प्रभावित हिस्से में जलन, सूजन, खरोंच, खुजली, फफोले, चमड़ी निकलना आदि समस्याएं आम हो गई हैं।

ऐसे बनाएं घर में मेहंदी

* अगर आप चाहें तो मेहंदी के सूखे पत्ते खरीद लें। इन्हें घर लाकर पीस लें। मेहंदी को मलमल के कपड़े से या झीने कपड़े से छान लें।
* मेहंदी को कम से कम दो बार छानें ताकि उसे कोण में डालकर स्मूदली इस्तेमाल किया जा सके।
* अब मेहंदी भिगो दें। कम से कम ६-८ घंटे मेहंदी भिगोने के बाद इसे इस्तेमाल के लिए तैयार करें।
* प्लास्टिक के इस्तेमाल से मेहंदी का कोण बनाएं। अब इसमें मेहंदी भर लें।
* मेहंदी लगाने से पहले हाथ व पैरों को अच्छे से धो लें। सुखाकर मेहंदी लगाना शुरू करें।

इन चीजों का इस्तेमाल चढ़ाएगा गहरा रंग

* मेहंदी के गहरे रंग के लिए नीलगिरी का या मेहंदी का तेल इस्तेमाल करें। रुई के फाहे को इस तेल में भिगोकर रखें। जब मेहंदी लगाएं तो लगाने से पहले हथेलियों पर इसका इस्तेमाल करते जाएं। जिस हिस्से में डिजाइन लगाना है, उस थोड़े थोड़े हिस्से में रुई के फाहे की मदद से इस तेल को लगाते जाएं फिर उस पर मेहंदी लगाएं।

* नींबू और चीनी का घोल मेहंदी को ज्यादा देर तक हाथों पर टिकाए रखेगा। जितनी देर मेहंदी हाथों पर लगी रहेगी उतना ही गहरा रंग छोड़ेगी। नींबू के रस में चीनी के कुछ दाने मिलाकर इसे अच्छे से मिक्स कर लें। इस घोल को सूखी हुई मेहंदी पर हल्के हाथों से दबाकर लगाती रहें।

* मेहंदी उतारते समय हाथों या पैरों को पानी से धोने के बजाय सरसों का तेल लगाकर मेहंदी को हल्के हाथों से रगड़कर उतार लें।

* मेहंदी उतारने के बाद कुछ लोंग तवे पर गर्म करें। जब उनसे धुंआ निकलने लगे तो उस धुएं पर हाथ या पैरों को घुमाएं। लौंग ठंडी होने के बाद उन्हें मेहंदी वाले हिस्सों पर हल्के हाथों से रगड़ लें।

* मेहंदी लगाने के बाद पानी और साबुन का इस्तेमाल कम से कम कर दें। इस तरह मेहंदी का रंग गहरा तो होगा ही वहीं मेहंदी कई दिनों तक हाथों पर रची रहेगी।