
Maha Toll Naka: 1 अप्रैल से यात्रियों की जेब पर डाका, एमएसआरडीसी ने बढ़ाई टोल नाकों की दर...
भोपाल. फास्टैग चिप के बाद नेशनल हाइवे के सभी टोल नाकों पर वाहनों के बिना रुके गुजरने का दावा फेल हो गया। इन टोल पर अभी भी लाइनें लगी रहती हैं। क्योंकि, यहां अभी तक फास्टैग बार कोड रीडर मशीन नहीं लगाई गई है। ठेकेदारों ने फास्टैग लेन वाले कर्मचारियों को बार कोड स्कैनर दे रखा है। ये कर्मचारी वाहनों के सामने खड़े होकर फास्टैग चिप के बार कोड को स्कैन करते हैं। इसके बाद वाहन आगे बढ़ पा रहे हैं।
केंद्र सरकार ने नौ माह पहले सभी नेशनल हाइवे के टोल नाकों में दोनों तरफ दो-तीन लेन फास्टैग करने के लिए ठेकेदारों को कहा था, लेकिन ठेकेदारों ने अभी तक ऑटोमैटिक फास्टैग स्कैनर मशीनें नहीं लगाई। ठेकेदार इस मशीन पर लाखों रुपए खर्च करना नहीं चाहते हैं। जिसका खामियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा है। ऑटोमैटिक मशीन नहीं लगने से वाहन चालकों को बार कोड रीड कराने के लिए नाके पर लंबे समय तक रुकना पड़ रहा है। जबकि सरकार का दावा था कि वाहनों में फास्टैग बार कोड रीडर लगाने पर नाकों से उसी गति से वाहन चालक अपने वाहन निकाल सकेंगे, जिस गति से वे सड़कों से चल रहे हैं। नाकों को फास्टैग से वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण रोकने, ईंधन और समय की बचत के लिए यह पहल की गई थी।
- हर नाकों पर एक से दो लेन बंद
कोरोना संक्रमण के चलते कई टोल नाकों में दोनों तरफ एक-दो लेन बंद हैं। इससे जो लेन चालू होते हैं उन पर वाहनों का दबाव बढ़ जाता है। सभी लेन चालू नहीं होने से नाकों पर सुबह दस बजे तक और शाम को 11 बजे रात तक वाहनों की एक से आधे किलोमीटर की लाइनें लगी रहती हैं। जल्दी नाका पार करने के चक्कर में ट्रक और बसों के बीच में छोटे वाहन चलक वाहन लेकर घुस जाते हैं, जिससे कई बार जाम की स्थिति बन जाती है।
- नाकों पर फास्टैग आउटलेट नहीं
नाकों पर फास्टैग आउटलेट बनाना था, जहां से वाहन चालक फास्टैग चिप खरीद सकें और उसे री-चार्ज करा सकें। अभी तक किसी नाके पर यह सुविधा शुरू नहीं की गई है। इसके लिए वाहन चालकों को बैंक के चक्कर लगाना पड़ता है। जिलास्तर पर इस काम के लिए कुछ ही बैंकों की शाखाओं में फास्टैग री-चार्ज की सुविधाएं हैं। वह भी कोरोना के चक्कर में बैंकों में यह सुविधाएं बंद कर दी गई हैं।
- नेटवर्क की भी समस्या
फास्टैग लेन में कई बार इंटरनेट नेटवर्क की भी समस्या आती है। बराबर नेटवर्क नहीं मिलने से फास्टैग मशीन से लेनदेन बंद हो जाता है। इसके चलते टोल नाका कर्मचारियों को कई बार स्कैन करना पड़ता है। इसके बाद भी जब लेनदेन नहीं हो पाता है तो वाहन चालकों को नकद राशि देकर नाकों से गुजरना पड़ता है।
मेरे अंडर में नेशनल हाइवे के 43 नाके हैं। इनमें सभी नाकों में फास्टैग मशीनें लगी हैं। इसमें मैं हर हफ्ते इनकी मॉनिटरिंग भी करता हूं। कुछ नेशनल हाइवे के टोल नाके एमपीआरडीसी के पास हैं, उनके संबंध में मैं कुछ नहीं कह सकता है।
- विवेक जायसवाल, आरओ, एनएचएआई
Published on:
22 May 2020 05:28 am
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