केवल अपने बारे में तो सब सोचते हैं। दूसरे के बारे में सोचने के साथ अपना सामान साझा करने ये हेल्पबॉक्स के नाम से एक मुहिम शुरु हुई। विभिन्न परिवारों से नई या पुरानी अनुपयोगी चीजें जिसमें कपड़े, बर्तन, घरेलु सामान, किताबें जमा की जा रही हैं। इन्हें ऐसे लोगों तक पहुंचाया जा रहा है जिन्हें इसकी जरूरत हैं। इस अभियान से जुड़े सुनील अवसरकर के मुताबिक त्योहार के समय कई ऐसे श्रमिकों तक सामान पहुंचाया गया जो बाहर से यहां काम करने आए थे। इसके अलावा बच्चों को शिक्षित करने के लिए बस्तियों में एक कॉपी और पेन बांट रहे हैं। शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना इसका मुख्य उद्देश्य है। करीब एक साल में शहर के कई इलाकों में ये काम हुआ।
सोशल मीडिया के जरिए जोड़ रहे लोग ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ सके इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। वर्तमान में करीब 100 लोग साथ में हैं। शिक्षण सत्र शुरू होने के साथ स्कूल और बस्तियों में एक कॉपी और पेन बांटने का अभियान भी जनसहयोग से शुरू हुआ। इन सबके अलावा सामाजिक मुद्दों पर कई दूसरे संगठनों के साथ भी मिलकर काम कर चुके हैं। कई जरूरतमंदों की मदद के लिए इस कान्सेप्ट के साथ कई लोगों ने सामान जुटाया और अब तक सैकड़ों लोगों की मदद की।