एेसे होंगे सोसायटी के अधिकार- – सोसायटी को न्यूनतम चार और अधिकतम दस सदस्य का बोर्ड बनाना होगा।
– सोसायटी का सालाना ऑडिट होगा। इसके लिए एक संपरीक्षक रखना होगा। – सोसायटी को सालाना सम्मेलन करना अनिवार्य रहेगा।
– सारे रिकार्ड मेंटन करना होंगे। दो रिकार्ड बनेंगे, समिति व फ्लैटधारक का।
– सोसायटी की सील अनिवार्य होगी। ५००० से ज्यादा का भुगतान चेक से होगा। – सोसायटी प्रवेश एक हजार रुपए प्रत्येक फ्लैट मालिक को देना होगा।
– अपार्टमेंट के किसी भी हिस्से के क्षतिग्रस्त होने पर सोसायटी उसकी मरम्मत करेगी।
– मेंटेनेंस चार्ज में की वसूली में पारदर्शिता आएगी। – पार्किंग, पार्क, लॉबी, कॉमन बालकनी में किए जाने वाले निर्माण को लेकर होने वाले विवादों का निराकरण हो सकेगा।
– सोसायटी पर सक्षम प्राधिकारी का दबाव होने से समय पर चुनाव और ऑडिट हो सकेंगे।
फ्लैट मालिकों के लिए ये अधिकार-
– प्रत्येक फ्लैट मालिक या वारिस ऑटोमैटिक एक फीसदी का शेयरधारक होगा सोसायटी में
– फ्लैट मालिक बाहरी सम्पत्ति पर एंटीना, एसी-मशीनरी या वायरिंग नहीं लगा सकेगा – प्रॉपटी बंधक रखने पर सोसायटी को जानकारी देना होगी। एेसी प्रॉपटी का अलग रिकार्ड होगा
– मल्टी पर कोई भी फ्लैट मालिक विज्ञापन-पोस्टर नहीं लगा सकेगा
ये है मामला-
सरकार ने वर्ष 2018 में प्रकोष्ठ स्वामित्व का कानून बनाया था। अफसरशाही के चलते यह कानून पिछले 19 सालों से फाइल में बंद रहा। पिछली भाजपा सरकार ने जाते-जाते 4 अक्टूबर 2018 को इस कानून को लागू करने के नियम प्रकाशित कर 30 दिन में आम-जन से आपत्ति सुझाव आमंत्रित किए। इस बीच प्रदेश में कांग्रेस सरकार आ गई। इसके बाद अब नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। आदेश भी जल्द जारी किए जाने हैं।
– सोसायटी के अच्छी सेवाएं न देने, साफ-सफाई न होने, स्ट्रीट लाइट चालू न होने और पर्याप्त पानी सप्लाई न होने की समस्याएं हैं। इसमें सोसायटी के काम अनिवार्य रहेंगे। इसके कानूनी हल तय कर दिए गए हैं।
ये बड़ा फायदा : फ्लैट मालिक को शेयर के मायने- कानून लागू होने का सबसे बड़ा फायदा फ्लैट मालिकों को यह होगा कि उनका परिसर में एक फीसदी ऑटोमेटिक शेयर तय हो जाएगा। यानी जितना एरिया उनके फ्लैट का है उसी अनुपात में उनका शेयर होगा। भविष्य में अपार्टमेंट टूटने या रि-डेंसिफिकेशन होने पर उन्हें उनके शेयर के अनुपात में नई बिल्डिंग में जगह मिल सकेगी।