भोपाल. रीजनल साइंस सेंटर में तीन दिवसीय साइंस फेस्टिवल मंगलवार से शुरू हुआ। इसमें कॉलेज, स्कूल और ग्रासरूट इनोवेटर्स ने आने वाली समस्याओं से निबटने के लिए अफने इनोवेटिव आइडियाज प्रजेंट किए इसमें 10 साल के बच्चे से लेकर 75 साल के लोगों ने अपने मॉडल्स प्रजेंट किए।
टेंकलेस मोटरबाइक – हवा से दौडेगा फ्यूचर ट्रांसपोर्टेशन
—- अब पेट्रोल, बिजली या डीजल से नहीं बल्कि हवा से मोटरबाइक चलेगी। इस तकनीक को यूआईटी-आरजीपीवी के सेंकड ईयर के मोहम्मद अकदस लारी और नुर उलहुदा ने मिलकर तैयार की है। इस तकनीक में लगा डिवाइस हवा से ऑक्सीजन मॉलिक्यूल को कंप्रेस कर प्रेशर को गेयरबॉक्स में ट्रांसमिट करेगी। इससे चेन टायर में पॉवर सप्लाई करेगी।
करीब 1 साल और 3 महीने की रीसर्च के बाद ये मोटरबाइक हवा से अब तक 3 हजार किलोमीटर चलाकर टेस्ट कर चुके हैं। इस टेंकलेस मोटरबाइक की खासियत है कि ये किसी भी तरह के टेरेन पर चल सकती है। इसे बनाने की लागत सिर्फ 20 हजार रूपए आई है।
स्कूल स्टूडेंट्स ने जाटखेड़ी में किया सर्वे
भेल स्थित जवाहर लाल नेहरू स्कूल के स्टूडेंट्स ने जाटखेड़ी में सर्वे किया। वहां के पानी में केमिकल्स की अधिक मात्रा होने के कारण लोगों में न्यूरोलॉजिकल बीमारियां फैल रही है। लेकिन आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण ये प्योरिफायर नहीं लगा सकते हैं। 10वी और 11 वी के दो स्टूडेंट्स ने मिलकर चारकोल, फ्लाई एश, केल्शियम कार्बोनेट, कोकोनट फाइबर, फूल के पत्ते से पानी को शुद्ध करने की तकनीक बनाई है।
झूले से बनेगी बिजली
थर्ड ईयर के नितिन सिंह और गौरव सिंह राजपूत ने स्विंग बेस्ड इलेक्ट्रिक पॉवर जनरेटर तैयार किया है। इसे घर, पार्क या अन्य जगों पर लगे झूले में लगाकर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट कर सकते हैं।
स्मार्ट एक्वा बोट
नदियों में गंदगी को को साफ करने अभी तक मेनुअल बोट्स हैं। सीएसई ब्रांच के थर्ड ईयर की पायल और रणजीत ने मिलकर स्मार्ट एक्वा बोट का मॉडल तैयार किया है। ये बड़े-स्केल पर समुद्र, नदियों जैसे बड़े जलाशयों में सफाई कर सकेगी और इसे दूर बैठे वर्कर ऑपरेट कर पाएंगे। इसमें की तरह के सेंसर हैं जो अलर्ट मैसेज भी पहुंचाएंगे।