
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि जो विधायक पहले इस्तीफा दे चुके हैं। स्पीकर उन पर कोई कार्यवाही नहीं कर सकते हैं। उन्हें उनके इस्तीफे पर ही निर्णय करना होगा। उन्होंने यह बात मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने पर कही। प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के चलते विधायकों पर प्रेशर बनाने के लिए अब स्पीकर ने उन्हेें नोटिस देना शुरू किया है। इसी बीच यह चर्चा भी चल पड़ी है कि इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि इन्होंने जिस पार्टी के चुनाव चिंह पर चुनाव लड़ा और अब दूसरे दल का सहयोग कर रहे हैं।
आईये समझे क्या है विधायकों के इस्तीफे का गणित--
सवाल - इस्तीफा देने वाले 13 विधायक और मंत्रियों को स्पीकर ने नोटिस देकर चर्चा के लिए बुलाया है?
- स्पीकर को यह अधिकार है, वे कोई भी निर्णय लेने के पहले संतुष्ट होना चाहेंगे कि विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है, या फिर उन्होंने किसी के दवाब मेें यह कदम तो नहीं उठाया।
सवाल - स्पीकर कुछ विधायकों के इस्तीफा मंजूर कर लेते हैं और कुछ के नहीं तो ऐसी स्थिति में क्या होगा?
- यह निर्णय स्पीकर के विवेक पर निर्भर है। विधायकों से चर्चा और उनके जवाब से संतुष्ट होने के बाद ही वे कोई निर्णय ले सकेंगे।
सवाल - विधायक यदि स्पीकर से चर्चा करने नहीं आते तो फिर ऐसी स्थिति में क्या होगा?
- अब गेंद इस्तीफा देने वाले विधायकों के पाले में है। उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए आना चाहिए। यदि वे नहीं आते तो स्पीकर उन्हें रिमांइडर भेज सकते हैं।
----
सवाल - क्या फैसला लेने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित हैï?
- कर्नाटक मामले में सुप्रीमकोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि स्पीकर को ऐसे मामलों में जल्द से जल्द निर्णय लेना होगा। लेकिन कोर्ट ने इसके लिए कोई समय-सीमा नहीं दी है। हालांकि, ऐसे मामलों को ज्यादा समय तब लंबित नहीं रख सकते।
----
सवाल - क्या स्पीकर विधायकों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं?
- अयोग्य घोषित करने के लिए कोई आधार भी होना चाहिए। यदि मामला इस्तीफे का है, स्पीकर को इसी पर निर्णय करना है।
----
सवाल - यदि अन्य किसी मामले में विधायक को अयोग्य घोषित किया जाता है तो क्या वह फिर चुनाव लड़ लड़ सकता है?
- कर्नाटक मामले पर सुप्रीमकोर्ट की टिप्पणी के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि स्पीकर विधायक को अयोग्य तो ठहरा सकता है लेकिन वह पूरे कार्यकाल के लिए उसे अयोग्य घोषित नहीं कर सकता। अयोग्य घोषित होने के बाद उसे सदन में वोट करने का अधिकार नहीं रहेगा, लेकिन वह उप चुनाव लड़ सकता है।
Published on:
12 Mar 2020 10:14 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
