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चुनाव आते ही हमारा नंदू बन गया नेता

तो आप कक्षा से बाहर कर रहे हो, वक्त आने पर...

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Vyang

चुनाव आते ही हमारा नंदू बन गया नेता

मेरा बाल सखा नंदू (पूरा नाम नंदलाल फरेबी), आजकल उभरता हुआ नेता बन गया है वह। पढ़ाई में हमेशा फिसडडी रहने वाला नंदू आड़े-तिरछे कामों में सदा अग्रणी रहा। वह समय-समय पर जल सेवा से लेकर विरोधियों की ल_ सेवा करने में भी कभी पीछे नहीं रहा।

स्कूल में एक बार टाट-पट्टी पर बैठने को लेकर नंदू ने कालू की तबीयत से कुटाई कर दी थी, जिस पर हिंदी वाले व्यास जी मास्साब ने उसे कक्षा से बाहर कर दिया था। बाहर जाते वक्त नंदू ने गुरुजी से कहा था, आज तो आप कक्षा से बाहर कर रहे हो, वक्त आने पर मुझे हार पहनाओगे। भविष्यवाणी सही निकली और व्यास जी के सेवानिवृत्त समारोह में मित्र नंदू ही मुख्य अतिथि बनकर पहुंचा।

जब से नंदू ने नेतागिरी में पदार्पण किया, तब से वह हमारे शहर की राजनीति का पर्याय ही बन गया। चक्काजाम हो या धरना-प्रदर्शन या फिर शहर बंद कराना हो, नंदू की सक्रियता चरम पर होती है।

गणेशोत्सव और नवरात्रि में गरबों का चंदा एकत्रित करने में भी उसे महारत हासिल है। पिछली बार एक ट्रक वाले ने चंदा देने में आनाकानी की तो नंदू ने उसके कपड़े फाड़ दिए थे। येन-केन प्रकार से अपनी बातों को मनवाने में माहिर नंदू माननीय बनने के लिए पूर्ण रूप से प्रयासरत है। इसके लिए बकायदा तैयारी भी की जा रही है।

चुनाव को देखते हुए उसने पार्टी से टिकट की दावेदारी कर दी है। सोशल मीडिया का भी बखूबी इस्तेमाल और अपनी छवि निखारने के लिए लंबा तिलक लगा धवल वस्त्रों में दोनों हाथ जोड़ते हुए फोटो फेसबुक और व्हाट्सऐप पर भेज रहा है।

वह यह जान चुका है कि चुनाव जीतनेे के लिए आजकल मूवमेंट नहीं बल्कि इवेंट महत्वपूर्ण है। इसीलिए नंदू कभी खुद पैसे देकर स्वयं का सम्मान समारोह आयोजित करवा लेता है तो कभी भेरू जयंती पर भीड़ इकटठा करने के उद्देश्य से भंडारा रखता है।

उसे यह भी ज्ञात है कि इस देश का आम आदमी कभी बढ़ती महंगाई से तो कभी बच्चों के प्रायवेट स्कूलों की भारी भरकम फीस से, कभी डॉक्टरों के दम निकालु इलाज के खर्च से और कभी बेटे-बेटियों के विवाह की जिम्मेदारी के बोझ से दबा रहता है। कभी मन हल्का करने के लिए टीवी के सामने बैठकर अनावश्यक राजनीतिक बहस को सुनकर अपने मन को तसल्ली दे देता है।

इसी बीच सुना है कि नंदू ने चुनावी बेला में अपनी बिरादरी के लोगों को दूसरी जातियों के लोगों का भय दिखाकर वोट बटोरकर चुनाव जीतने का पुख्ता इंतजाम कर लिया है और चौराहे पर बड़ा होर्डिंग लगाकर अपने समर्थकों से लिखवा दिया है। हमारा नेता कैसा हो-नंदू जी जैसा हो।


कानाफूसी:
अर्जुन के सारथी बने दिग्विजय...
पू र्व मुख्यमंत्री इन दिनों अर्जुन के सारथी बने हुए हैं। बुदनी के किसान नेता अर्जुन आर्य का राजनीतिक मार्ग सारथी और गुरु बनकर दिग्विजय सिंह ने प्रशस्त किया है।

दिग्विजय सिंह जब अर्जुन से चुपचाप जेल में मिलने गए थे, तभी से माना जा रहा था कि उनके दिमाग में कुछ चल रहा है। अर्जुन को दिग्विजय ने कांग्रेस में शामिल करवाया लेकिन वे खुद पर्दे के पीछे रहे।

कमलनाथ ने सदस्यता दिलवाई पर कार्यक्रम में दिग्विजय शामिल नहीं हुए। माना जा रहा अर्जुन आर्य को बुदनी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ उम्मीदवार बनाकर उतारा जाएगा। यानी दिग्गी राजा ने सारथी बनकर अर्जुन को राजनीति के कुरुक्षेत्र में उतार ही दिया।