इस आइडिया को लेकर उन्होंने नेताओं से बातचीत की लेकिन यह रास्ता इतना आसान नहीं था, बहुत सी परेशानियां दोनों के सामने खड़ी थी जिनमें से सबसे बड़ी दिक्कत थी मतदाताओं की जानकारी के विश्लेषण की। इस परेशानी को दूर करने के लिए शैलेंद्र पटेल ने एक एप तैयार की जिसका नाम रखा रणनीति एप। ये वो वक्त था जब उनके हौसलों को किस्मत का साथ मिला और इस एप को झाबुआ, शहडोल, नेपानगर के साथ-साथ नगरीय निकायों में भी उपयोग किया गया। यहां इस एप का उपयोग इतना सफल रहा कि अब इसका उपयोग उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी किया जाएगा।