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SPECIAL : ऑटो ड्रायवर अब उड़ाता है जहाज, जानिए कैसे बदली जिंदगी

अपने हौसले, लगन और मेहनत के दम पर श्रीकांत पंतवणे ऑटो ड्राइवर से पायलट बन गए।

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Hitesh Sharma

Oct 14, 2015

pilot

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(कैप्सन : ऑटो ड्राइवर से पायलट बने श्रीकांत)


भोपाल।
'मंजिलें उनको मिलती है, जिनके इरादों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है'। अपने हौसले, लगन और मेहनत के दम पर श्रीकांत पंतवणे ऑटो ड्राइवर से पायलट बन गए। आज भी श्रीकांत का दिन तीन चक्कों के साथ ही गुजर रहा है, लेकिन ये चक्के ऑटो के नहीं प्लेन के हैं। महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले श्रीकांत ने मप्र के सागर में एविएशन अकादमी से पायलट का कोर्स किया है।


परिवार की स्थिति काफी दयनीय होने के कारण श्रीकांत ने बहुत कम उम्र से काम करना शुरू कर दिया था। उनके पिता सुरक्षा गार्ड थे, जिनकी कमाई पूरे परिवार के लिए काफी नहीं थी। शुरुआत में श्रीकांत ने डिलिवरी ब्वॉय की नौकरी की, लेकिन ये कमाई उनके परिवार के लिए काफी नहीं थी। इसके बाद परिवार की मदद के लिए उन्होंने ऑटो चलाना शुरू किया। इन जिम्मेदारियों के बीच भी श्रीकांत ने काम और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाए रखा।


श्रीकांत एक बार नागपुर एयरपोर्ट पर चल रहे एक कार्यक्रम में कुछ सामान डिलिवर करने पहुंचे थे। एयरपोर्ट के बाहर लगी चाय की दुकान पर खड़े होकर कुछ पायलट चर्चा कर रहे थे। उनके पास जाकर श्रीकांत ने पूछा की पायलट कैसे बनते हैं? जवाब मिला कि, बहुत पैसे खर्च होते हैं और कठिन पढ़ाई करनी पड़ती है। वहीं, एक अन्य पायलट ने बताया कि 12वीं क्लास के बाद सरकार पायलट के कोर्स के लिए स्कॉलरशिप देती है।


यह सुनते ही श्रीकांत की आंखों में चमक आ गई और उन्होंने 12वीं की पढ़ाई शुरू कर दी। अपने मेहनत और लगन के दम पर श्रीकांत ने न सिर्फ 12वीं क्लास अच्छे नंबरों से पास की, बल्कि 2011 में पायलट बनने के लिए स्कॉलरशिप भी हासिल कर ली। अच्छे नंबरों के दम पर श्रीकांत को सागर में एविएशन अकादमी में दाखिला भी मिल गया।


2013 में श्रीकांत को एक और स्कॉलरशिप मिली। इसकी मदद से उन्होंने हैदराबाद के सेंट्रल ट्रेनिंग एस्टेब्लिशमेंट में दाखिला लिया। पढ़ाई पूरी होते तक इंडिगो के लिए उनका कैंपस सलेक्शन हो गया। अप्रैल 2015 में उनके सपनों को हकीकत के पंखे लगे और आज श्रीकांत इंडिगो एयरलाइन में पायलट हैं।

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