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धर्मांतरण मामले में मध्य प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, गृहमंत्री बोले- अब इस तरह पक्ष रखेंगे

मध्य प्रदेश सरकार के लिए राहत की बात ये है कि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर अंतरिम रोक लगाने पर विचार करने के लिए आगामी 7 फरवरी का समय निर्धारित किया है।

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धर्मांतरण मामले में मध्य प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, गृहमंत्री बोले- अब इस तरह पक्ष रखेंगे

धर्मांतरण कानून के मामले में मध्य प्रदेश सरकार को देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। एससी ने पिछले साल नवंबर में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार के लिए राहत की बात ये है कि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर अंतरिम रोक लगाने पर विचार करने के लिए आगामी 7 फरवरी का समय निर्धारित किया है। इस मामले पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि, अगली तारीख पर प्रदेश सरकार अपना पक्ष मजबूती से रखेगी।

धर्मांतरण कानून के मामले पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, सुप्रीम कोर्ट में मामला विचारधीन है। अवैध तरीके से धर्मांतरण ना हो इस पर सरकार अपना पक्ष मजबूती से रखेगी। अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि मध्यप्रदेश में दूसरे धर्म में शादी करने वालों को कलेक्टर को जानकारी देना जरूरी या नहीं। आपको बता दें कि, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हर तरह का धर्मांतरण गैर-कानूनी नहीं हो सकता। इस मामले पर राज्य सरकार की याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से रोक लगाई गई थी, जिसे हटाने के लिए प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है।

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हाईकोर्ट ने लगाया स्टे, सुप्रीम कोर्ट ने रखा बरकरार

आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार, दूसरे धर्म में शादी करने वाले व्यक्ति को 60 दिन पहले अपने जिले के कलेक्टर को इस संबंध में जानकारी देनी होगी। लेकिन, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से प्रदेश सरकार के इस कानून पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट से रोक के बाद इस स्टे को हटाने के लिए प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के स्टे को जारी रखा है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट की 7 फरवरी को होने वाली अगली हेयरिंग में प्रदेश सरकार मजबूती से अपना पक्ष रखकर फैसला अपने पक्ष में लेने की बात कह रही है।

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कानून बनाने को लेकर सरकार का तर्क

आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश प्रदेश आदिवासी बाहुल्य राज्य है। ऐसे में सरकार का तर्क है कि, यहां कई जिलों में दूसरे धर्म के लोग बड़ी संख्या धर्मांतरण करवा रहे हैं। ऐसे धर्माचार्यों का केंद्र गरीब और आदिवासी वर्ग होते हैं। गांवों में भोले भाले लोगों को बहला फुसलाकर उनका धर्मांतरण करवाया जाता है। इस पर सरकार ने फैसला लिया है कि, प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता कानून में संशोधन कर राजपत्र में प्रकाशित किया जाए। धर्म परिवर्तन करने के लिए अब घोषणा पत्र देना होगा। धर्म परिवर्तन करवाने वाले धर्माचार्य को भी सूचना और सत्यापन पत्र देना अनिवार्य होगा। 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को ऐच्छिक धर्म परिवर्तन का घोषणा पत्र देना होगा।

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