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ताल महोत्सव के रंगारंग कार्यक्रम में पहुंचे कवि कुमार विश्चास, लोगों की फरमाइश की पूरी

कुमार विश्वास की कविताओं पर झूम उठे भोपालाइट्स, विश्वास ने कहा-

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नौ महीने में तो बच्चा जन्म लेता है, तो नई कविता कैसे लिख दूं...

नौ महीने में तो बच्चा जन्म लेता है, तो नई कविता कैसे लिख दूं...

भोपाल। 'कोई दिवाना कहता है, कोई पागल समझता है...', 'फिर मेरी याद आ रही होगी...', इन लाइनों के साथ जैसे ही कवि कुमार विश्वास ने महफिल में कदम रखा, भोपालवासी झूम उठे। मौका था कलियासोत मैदान पर आयोजित ताल महोत्सव के आगाज का। ये दिन कुमार विश्वास के नाम रहा।


गजलों की फरमाइश करने लगे
कुमार विश्वास मंच पर करीब 9 बजे पहुंचे। जैसे ही उच्च शिक्षा एवं खेल मंत्री जीतू पटवारी को माइक दिया गया, मौजूद लोगों ने कुमार विश्वास को सुनने की मांग शुरू कर दी। पटवारी भी लोगों को मूड भांप गए और उन्होंने लोगों से पूछा जिस मंच पर कुमार हों, वहां किसी और को बोलना चाहिए क्या? जवाब रहा- सिर्फ कुमार विश्वास। इसके बाद मंच पर मौजूद कोई भी मंत्री-विधायक या नेता नहीं बोला। सभी ने मंच कुमार विश्वास को सौंप दिया। शहर के युवा उनकी फेमस गजलों की फरमाइश करने लगे।

लोगों की फरमाइश को पूरी की
विश्वास ने अपने अंदाज में लोगों की फरमाइश को पूरी। शुरुआत उन्होंने कोई दिवाना कहता है, कोई पागल समझता है...सुना युवाओं के अंदर जोश पैदा कर दिया। इसके बाद उन्होंने फिर मेरी याद आ रही होगी, फिर वो दीपक बुझा रही होगी..., दीप ऐसे बुझे कि फिर जले ही नहीं जख्म इतने मिले फिर सिले ही नहीं..., इस अधूरी जवानी का क्या... सुनाकर माहौल बना दिया।

मैं राजनीति पर टिप्पणी करने लायक नहीं ...
कुमार ने कहा कि मैं राजनीति पर टिप्पणी नहीं करता, क्योंकि उस लायक बचा नहीं हूं। लोकतंत्र में सत्ता की रोटी अलटती-पलटती रहनी चाहिए... लोहिया जी कहते थे। नहीं तो एक तरफ से 15 साल टिक जाए तो अकड़ में आ जाती है...। मैं मप्र को बधाई देता हूं कि उसने रोटी पलटी है। मैं आशा करता हूं कि वो अच्छी सी रोटी सेककर आपको खिलाएंगे।


आयोध्या पर निर्णय स्वीकार करेंगे
गजलों के दौर में कुमार बोले 'जब नौ महीने में बच्चा जन्म लेता है तो नई कविता कैसे लिख दूं...। उन्होंने अयोध्या मामले पर कहा कि जो भी निर्णय आएगा हम उसे संविधान की गरिमा के साथ स्वीकार करेंगे। हम कोशिश करेंगे की दोनों ही पक्ष एक-दूसरे को गले लगाए और बात करें। आप मानिए न मानिए बहुत कुछ दावं पर है इन दिनों जो लोग समझते वो इस बात को समझते होंगे।