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करणी सेना पर जैन मुनि ने बोला हमला, हिम्मत है तो सेना पर हमला करके दिखाओ

मध्यप्रदेश के दिगम्बर जैन संत तरुण सागरजी महाराज ने वीडियो के जरिए यह संदेश प्रसारित किया है। यह वीडियो पत्रिका के पास ...।

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भोपाल

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Manish Geete

Jan 25, 2018

tarun sagar

भोपाल। अपने कड़वे वचनों से हमेशा सुर्खियों में रहने वाले जैन मुनि तरुण सागरजी महाराज आज भी चर्चाओं में है। इस बार उन्होंने फिल्म पद्मावती पर चल रहे विवाद पर करणी सेना पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने करणी सेना से कहा है कि विरोध करना हो तो शांतिपूर्ण करो, मासूम बच्चों पर अत्याचार मत करो। उन्होंने कहा कि हिम्मत है तो सेना पर हमला करके दिखाओ।

मध्यप्रदेश के दिगम्बर जैन संत तरुण सागरजी महाराज का वीडियो उस समय जारी हुआ, जिस समय मध्यप्रदेश में फिल्म पद्मावत की रिलीज पर विवाद चल रहा है और देशभर में गणतंत्र दिवस के मौके पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर रखी है। गुरुवार को दोपहर में उनके संदेश के साथ यह वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में करणी सेना के तोड़फोड़ और आगजनी के साथ विरोध करने को कायराना बताया है।

विरोध करें, लेकिन शांतिपूर्ण
-राष्ट्र की संपत्ति को क्षति पहुंचाना देश के साथ खिलवाड़ है। और देश के साथ खिलवाड़ स्वयं के साथ खिलवाड़ है।
-विरोध के नाम पर स्कूली बस के मासूम बच्चों पर करणी सेना ने कायराना हरकत की है उसकी सर्वत्र निंदा की जाना चाहिए।

मुनिश्री ने कहा कि आप विरोध करें, क्योंकि वो आपका संवैधानिक अधिकार है। मगर तोड़फोड़ के साथ नहीं आग जनी के साथ नहीं, मासूम बच्चों पर हमला करके नहीं, वरन शांति पूर्ण तरीके से गांधीवादी तरीके से विरोध कीजिए। विरोध कीजिए, लेकिन तोड़फोड़ के साथ विरोध करते हैं वो गलत है।

कायर सेना है या करणी सेना
जिस प्रकार से मासूम बच्चों पर हमला करके कायराना हरकत की है उसमें एक सवालिया निशान खड़ा हो जाता है कि ये करणी सेना है या कायर सेना। अगर हिम्मत है तो देश की सेना पर हमला कीजिए, फिर देखिए इसका अंजाम क्या होता है। उग्र होकर विरोध करने के तरीके को मैं उचित नहीं समझता हूं।

यह भी है चर्चित बयान
-पाकिस्तान में जितने आतंकवादी नहीं, उससे ज्यादा हमारे देश में गद्दार हैं।

कपड़े नहीं पहनने की बताई ये वजह
-पिछले दिनों ही राजस्थान के सीकर में उन्होंने अपने कपड़े नहीं पहनने पहने की बातों पर बेबाकी से जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि दिगम्बर जैन मुनि के तन पर लंगोट (कपड़े) क्यों नहीं होते हैं, इस पर मुनि तरुण सागर जी ने जवाब दिया कि जब मन में कोई खोट नहीं है, इसलिए उनके तन पर कोई लंगोट भी नहीं है। शरीर पर वस्त्र तो विकारों को ठकने के लिए होते हैं, जो विकारों से परे हैं, जैसे शिशु व मुनि, इन्हें वस्त्रों की क्या जरूरत है। मुनिश्री के कड़वे प्रवचनों की सभी सराहना करते हैं।