
भोपाल। forest fire लगने की घटनाओं में Dewas, Khandwa सहित करीब 20 डिवीजन पिछले सात वर्षों से सेंसटिव जोन बन गए हैं। यहां प्रति वर्ष दो हजार से अधिक आगजनी की घटनाएं रिकार्ड की जाती हैं। इसके चलते इन जिलों को जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष बजट दिए गए हैं, जिससे कि ये जंगलों में आग लगने की घटनाओं को कम करने की कार्ययोजना तैयार कर सकें। सेटेलाइट इमेजरी के जरिए इस वर्ष जंगलों में आग की 16000 घटनाओं को कैमरे में कैद किया गया है। वैसे प्रदेश में 40 हजार के करीब आगजनी की घटनाएं रिकार्ड की जाती हैं।
प्रदेश के forest में प्रति वर्ष करीब 10 से 22 हजार hectare करीब आग लगने की घटनाएं रिकार्ड की जाती हैं। पिछले दो तीन वर्षों में corona period और लाक डाउन के चलते जंगलों में आग की घटनाएं पांच से दस हजार के करीब रिकार्ड की गई है। इसकी मुख्य वजह लोगों का घरों से कम निकलना, जंगलों में काम जाना तथा यातायात प्रभावित होना है। जंगलों में आग लगने के मामले में देवास प्रदेश में सबसे आगे हैं, जबकि दूसरे नम्बर पर खंडवा और Obaidullaganj Division है। नरसिंहपुर, सतना, सीहोर और दमोह डिवीजन तीसरे नम्बर पर हैं। इन डिवीजनों में कम से कम 15 सौ से लेकर दो हजार तक प्रति वर्ष आग की घटनाएं होती हैं। हालांकि जंगलों में आग बुझाने के संबंध में पेच और लाइनें बनाई जाने के कारण इन आगों का बड़ा स्वरूप नहीं बन पाता है।
कान्हां टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा आग
नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व को देखा जाए तो कान्हा टाइगर रिजर्व आगजनी के मामले में सबसे आगे है। कान्हां में चार सौ 55 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में आगजनी की घटनां होती हैं7 दूसरे नम्बर पर संजय टाइगर रिजर्व है, जहां दो सौ से लेकर साढ़े चार सौ हेक्टेयर में प्रति वर्ष आग लगने की घटनाएं रिकार्ड की जाती हैं। पिछले वर्ष बांधवगढ़ में सबसे बड़ी आग लगी थी, जिस पर एक हफ्ते के अंदर काबू पाया गया था। यहां आग बुझाने में लगे कई वन सुरक्षाकर्मी और कर्मचारी भी आग की लपेट में आ गए थे। इस वर्ष अब तक आगजनी की सबसे बड़ी घटना रातापानी के जंगलों में हुई है।
अब जनवरी से जंगलों में लगने लगी आग
वैसे तो जंगलों में आग की घटनाएं मार्च से होती थीं। लेकिन पिछले दो तीन वर्षों में आग लगने के ट्रेंड को देखा जाए तो अब ये घटनाएं जनवरी से होने लगी हैं। इसकी वजह ग्लोबल वार्मिग बताया जा रहा है, क्योंकि पतझड़ की शुरूआत अब जनवरी से होने लगी है। इसके साथ ही जनवरी से धूप भी तेज होने लगी है। इससे पत्ते जल्दी सूखते हैं तो आग की घटनाएं भी पहले से होने लगी हैं।
- जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढऩे के पीछे जंगलों के बीचों-बीच लाइन कटाई का काम बराबर नहीं हो रहा है। वन अफसर और समितियां इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। अब ग्लोबाल वार्मिग के चलते आग लगने की घटनाएं दिसम्बर-जनवरी से शुरू हो रही हैं। लोगों का जंगलों में इंटरफेयर भी बढ़ता जा रहा है, इसके परिणाम स्वरूप भी आग की घटनाएं बढ़ रही हैं।
आजाद सिंह डबास, सेवा निवृत्त आईएफएस
Published on:
16 Apr 2022 08:56 pm
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