
सूदखोरों के चंगुल से गरीबों को नहीं मिली मुक्ति, तीन साल में 60 आत्महत्या
भोपाल। सूदखोरी के चंगुल से गरीबों को मुक्ति नहीं मिल पा रही है। सराकर चाहे भाजपा की हो या फिर कांगे्रस की। इन पर नकेल लगाने की कोशिश की लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिल सकी। तीन साल में 340 से ज्यादा प्रकरण सामने आ चुके हैं। 60 लोग तो आत्महत्या कर चुके हैं। राज्य में यह मामले चौंकाने वाले हैं।
खेती या व्यापार में घाटा होने या फिर आर्थिक तंगी होने के कारण आमतौर पर लोग साहूकारों से कर्ज ले लेते हैं। साहूकारों तक आमलोगों की पहुंच आसानी से हो जाती है और ब्याज पर राशि भी यहां आसानी से मिल जाती है। लेकिन एक बार इनके चंगुल में कोई फंसा तो निकलना मुश्किल होता है।
खासकर आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में स्थिति अधिक खराब है। हालांकि कमलनाथ सरकार ने साहूकारी अधिनियम में संशोधन कर इसे और सख्त बनाने की तैयारी की थी लेकिन उनके यह प्रयास सफल नहीं हो सके। आदिवासी क्षेत्रों के लिए तो यहां तक एलान कर दिया गया था कि साहूकारों से लिए गए सभी कर्ज 15 अगस्त 2019 से शून्य हो जाएंगे। यानी आदिवासियों को यह कर्ज चुकाने की जरूरत नहीं है, लेकिन राष्ट्रपति की मंजूरी न मिलने के कारण अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका है।
सबसे ज्यादा मामले इंदौर में -
सूदखोरी के मामलों पर नजर डाली जाए तो पिछले तीन सालों में इंदौर में सबसे अधिक 44 मामले दर्ज हुए हैं। इसके बाद धार जिले का नम्बर आता है। यहां 30 मामले रिकार्ड में दर्ज में हैं। जबकि रतलाम में 18 और जबलपुर में 8 मामले दर्ज हैं। उज्जैन और होशंगाबाद जिले में पांच-पांच और शाजापुर, विदिशा जिले में चार-चार मामले दर्ज हुए हैं। प्रदेश के सागर, दमोह, ग्वालियर जिलों में तीन-तीन मामले पुलिस ने दर्ज किए हैं, जबकि शिवपुरी, नीचम, छतरपुर, अनूपपुर, रायसेन, राजगढ़ जिले में दो-दो मामले सामने आए हैं। देवास, छिंदवाड़ा, सिवनी जिले में एक-एक मामला सूदखोरों के खिलाफ दर्ज है।
कहां कितने कर्जदारों ने दी जान -
इंदौर में सूदखोरों के चंगुल में फंसे 15 लोगों ने जान दे दी। जबकि उज्जैन, रतलाम, होशंगाबाद में पांच-पांच और विदिशा, शाजापुर में चार -चार लोगों ने आत्महत्या की। सागर, दमोह जिले में तीन-तीन और छतरपुर, रायसेन, राजगढ़, नीमच जिले में दो-दो लोगों ने सूदखोरों के परेशान होकर मौत को गले लगाया। छिंदवाड़ा, सिवनी, जबलपुर, धार, देवास में भी आत्महत्या के मामले दर्ज हुए हैं। यहां इनकी संख्या एक-एक है।
सूदखोरी के प्रमुख मामले -
- देवास पुलिस ने वर्ष 2019 में कार्रवाई के दौरान एक सूदखोर को पकड़ा। उसने सैकड़ों लोगों को कर्ज दिया। लोगों ने कर्ज के लिए खेत और प्लॉट गिरबी रख दिए। इन दस्तावेजों के आधार पर आरोपी तेजपाल दांगी ने धोखाधड़ी की। पुलिस ने इसके खिलाफ कार्रवाई की।
- वर्ष 2017 में बुदनी जिले के किसान मुकेश ने सूदखोरी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। उस पर 50 हजार का कर्ज लिया था। सूदखोर कर्ज के लिए लगातार दवाब बना रहा था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह कर्ज नहीं चुका पा रहा था। सूदखोरी से परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली।
- होशंगाबाद में सूदखोरों से परेशान होकर राकेश गौर नामक व्यक्ति ने जहर खा लिया था। उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। यह घटना फरवरी 2019 की है। उसने अपनी अंगूठी, सोने की चेन सहित अन्य सामग्री गिरबी रखकर कर्ज लिया था, लेकिन कर्ज न चुकाने पर सूदखोर उसे परेशान करने लगा। परेशान होकर उसने जहर खा लिया।
एक नजर में -
प्रताडऩा से आत्महत्या करने वाले - 60
सूदखोरों पर दर्ज प्रकरण - 144
कितने सूदखोरों पर प्रकरण दर्ज - 340
न्यायालय में चालान प्रस्तुत प्रकरण - 126
कोर्ट से सजा - 5
न्यायालय में लंबित प्रकरण - 112
पुलिस में लंबित प्रकरण - 19
सूदखोरों द्वारा राशि के लिए प्रताडि़त जाने वाले आवेदन - 168
मंत्री बोले -
प्रदेशभर में माफिया के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। इसमें सूदखोरों के खिलाफ अभियान भी शामिल है। अभी तक 150 लोगों पर कार्यवाही हो चुकी है। सूदखोरी का कानून और सख्त किया जाना है। इसकी समीक्षा हो रही है।
- बाला बच्चन, गृह मंत्री
Published on:
01 Feb 2020 07:59 am
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