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नए किस्म के सिंथेटिक नशे के जहर में फंसी युवा पीढ़ी

2023 में सालभर में करीब 3800 प्रकरणों में 5000 से ज्यादा लोगों को बनाया गया आरोपी

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अमित सिंह, नारकोटिक्स डीआईजी, मध्यप्रदेश

वर्तमान समय में मध्यप्रदेश पुलिस के समक्ष दो बड़ी सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। इसमें पहली चुनौती साइबर अपराध और दूसरी नारकोटिक्स है। जहां तक नारकोटिक्स अपराध का संदर्भ है। तो यह मौजूदा वक्त में इसलिए बड़ी चुनौती बन रही है क्योंकि नशा का क्रेज युवाओं में सिर चढ़कर बोल रहा है। और इसके प्रकारों के बारे में सुनकर तो हैरानी भी होती है कि क्या ऐसा हो सकता है। नाबालिग बच्चों का नशे की चपेट में होना सबसे ज्याद दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे में जितने प्रयास पुलिस कर रही है। उतने ही प्रयास परिजनों और समाज को भी करने होंगे। जैसे प्रदेश के तीन जिलों मंदसौर, नीमच और रतलाम में स्थानीय कृषकों को अफीम की खेती के लिए सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स द्वारा पट्टे दिए जाते हैं। लेकिन यहां भी अवैध डायवर्जन के कारण अफीम, स्मैक, हीरोइन और डोडा चूरा की उपलब्धता रहती है। प्रदेश की भौगोलिक अवस्थिति के कारण उत्तर- पूर्वी राज्यों से मादक पदार्थों का दक्षिण- पश्चिम राज्यों की ओर परिवहन होता है। यहां पर गांजा उड़ीसा, झारखंड एवं आध्रप्रदेश से सड़क मार्ग और रेलमार्ग के द्वारा लाया जाता है। नए सिंथेटिक मादक पदार्थों का प्रचलन बीते वर्षों में प्रदेश में बढ़ा है। इसके अतिरिक्त मप्र के विध्य क्षेत्र में कोरेक्स, अफ्राजोलम एवं कोडिन का सेवन किया जाता है। इन परिस्थियों को दृष्टिगत रखते हुए पिछले वर्ष 2023 में मप्र पुलिस में बड़े पैमाने पर नारकोटिक्स के प्रकरण दर्ज किए हैं।

3800 प्रकरणों में 5000 लोगों बनाया आरोपी

साल 2023 में सालभर में करीब 3800 प्रकरणों में 5000 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें सर्वाधिक 2450गांजा के प्रकरण हैं। इसके बाद स्मैक, ड्रक्स और डोडा चूरा के प्रकरण सर्वाधिक दर्ज किए हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के आधार पर 2022 में मप्र पुलिस संपूर्ण भारत में एनडीपीएस प्रकरणों को दर्ज करने में सातवें स्थान पर रहा है। लगातार प्रदेश में मादक पदार्थों की आपूर्ति में कमी लाने के लिए अभियान चलाकर प्रकरण पंजीबद्ध किए जा रहे हैं।

मादक पदार्थों में कमी लाने किए जा रहे ये प्रयास

इसके अतिरिक्त मादक मदार्थों की मांग में कमी लाने के लिए स्कूल, कॉलेज और स्लम बस्तियों में लगातार मादक पदार्थों के नशे के विरूद्ध जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे लोग जो इसकी गिरफ्त में आ चुके है उन्हें दोबारा मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में शासकीय अस्पतालों में प्रशिक्षित मनोचिकित्सक और नर्स की पदस्थापना की गई है। इनकी सूची जिला पुलिस इकाइओं को प्रेरित की जा चुकी है। नए किस्म के सिंथेटिक नशे के जहर से युवा पीढ़ी को बचाने के लिए एएनटीएप यानी एंटी नॉरकोटिक्स टॉस्क फोर्स एडीजी नारकोटिक्स के नेतृत्व में अन्य विभागों से समन्वय स्थापित कर योजनाबद्ध तरीके से सिंथेटिक नशे के जहर से युवा पीढ़ी को बचाने हेतू कार्य कर रही है।