रहवासी जयप्रकाश प्रसाद, आशीष गजभिए, विक्रम राठौर, तन्मय भाटी आदि का कहना है कि पार्क में कुर्सी नहीं होने के कारण सुबह-शाम तफरी करने आने वाले लोगों को बैठने तक की जगह नहीं है। कॉलोनी के कुछ बुजुर्ब भी तफरी के लिए आते हैं। यहां बैठने की जगह नहीं होने के कारण उन्हें जमीन पर धूल में बैठना पड़ता है। देखरेख के अभाव में यह पूरा पार्क खेत जैसा दिखाई देता है।
पार्क में लाईट नहीं जलने के कारण शाम होते ही यहां अंधेरा छा जाता है। ऐसे में यहां घूमने फिरने आने वाले लोगों को डर बना रहता है। लोगों का कहना है कि गर्मी का मौसम आ रहा है। पार्क में लाइट लगवा दी जाए तो शाम को कुछ पल यहां आकर बैठ सकते हैं।
पार्क में नहीं है बच्चों के लिए खेलने की जगह
पार्क बदहाल होने के कारण यहां बच्चों को खेलने तक की जगह नहीं है। कुछ बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि यहां झूले आदि लगवा दिए जाएं तो शुबह-शाम बच्चों को खेलने की जगह मिल जाएगी। अभी वे सड़क पर खेलते हैं, जहां पर वाहनों की आवाजाही के कारण हादसे का डर बना रहता है।
कॉलोनी के बीचो-बीच फेंका जा रहा कचरा
रहवासियों का कहना है कि कॉलोनी में डस्टबीन नहीं होने के कारण लोग घरों से निकलने वाले कचरे को कॉलोनी के बीचो-बीच खुले में फेंक देते हैं। इसके कारण यहां बदबू फैलने के साथ ही कचरा उड़कर घरों के अंदर तक पहुंच जाता है। इससे परेशानी होती है।
कॉलानी के बीच में डेयरी चलाने के कारण फैलने वाली गंदगी और बदबू के कारण लोगों को घरों में रहना मुश्किल हो रहा है। नियमानुसार डेयरी कॉलोनी के बाहर होनी चाहिए। जिम्मेदारों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण यह सब धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं।