
बच्चों में दिखें ये लक्षण तो न करें नज़रअंदाज़, हो सकता है ब्रेन कैंसर!
भोपाल/ बच्चों की सेहत को लेकर सभी माता पिता सबसे ज्यादा सजग रहते हैं। हालांकि, कई बार बच्चे अपने पेरेंट्स को होने वाली तकलीफ के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाते, जिसके कारण कई मामलों में आगे जाकर बच्चे के स्वास्थ को लेकर बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। हालही में जारी नेशनल हेल्थ प्रोग्राम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों में ब्रेन ट्यूमर के मामले ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं, जो प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर के अभिभावकों के लिए बड़ी चिंता का विषय है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों को अनदेखा करना बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, वयस्कों में होने वाले कैंसर में इसका फीसदी 2 से 3 फीसदी ही है, वहीं बच्चों में इसका आंकड़ा 26 फीसदी है। शहर के न्यूरो ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ नितिन भरद्वाज का कहना है कि, मानव शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले कैंसर में 40 फीसदी कैंसर ब्रेन तक अपनी पहुंच बना लेते हैं।
शुरुआत में ही हो जाए पहचान तो इलाज संभव
डॉ. भारद्वाज के मुताबिक, मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाएं विकसित होने के कारण ये ब्रेन ट्यूमर का रूप ले लेती है। कोशिकाओं के विकास की गति ट्यूमर के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होती है, लेकिन इस दौरान पीड़ित में कई लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणों को समय रहते गौर कर लिया जाए तो, इसकी शुरुआती अवस्था में इस गंभीर बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। जीवनशैली में आए परिवर्तन की वजह से ब्रेन ट्यूमर के अहम लक्षण सिरदर्द और याददाश्त का कमजोर होना जीवनशैली का हिस्सा बनते जा रहे हैं। आज के समय में ब्रेन टयूमर के उपचार में कई नवीन तकनीक आ रही हैं, इसके बावजूद रोग की पहचान समय पर ना होने के कारण रोगियों की मृत्युदर भी तेजी से बढ़ रही है।
इन लक्षणों को न करें नज़रअंदाज
बच्चों हों या वयस्क दोनों में ही इसके लक्षण काफी समान है। इन लक्षणों में तेज या लगातार रहने वाला सिरदर्द, चलने में परेशानी, तालमेल में समस्या, मांसपेशियों में कमज़ोरी, रह-रहकर परेशानी होना, शरीर के एक तरफ़ कमज़ोरी या हाथों और पैरों की कमज़ोरी, चक्कर आना, उल्टी या मतली आना, चुभन महसूस करना या स्पर्श कम महसूस होना, ठीक से बोलने और समझने में परेशानी या सुध-बुध खोना, दौरे पड़ना, धुंधला दिखना, बेहोशी आना, बोलने में कठिनाई या व्यक्तित्व में बदलाव होना शामिल है। अगर किसी भी बच्चे में इस तरह के लक्षण नज़र आएं, तो जरूर चिकित्सकीय परामर्श की जरूरत है।
Published on:
09 Jun 2020 09:09 pm
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