तीन अक्टूबर से मैनिट में बाघ की मूवमेंट तीन अक्टूबर को टी1234 नंबर का बाघ यहां पहुंचा था। इसके बाद मैनिट में ऑनलाइन कक्षाएं कराई गई और लोगों की यहां वनक्षेत्र में आवाजाही भी बंद की गई। वन विभाग की टीम बाघ को यहां से निकालने की कोशिशें करती रही। बाघ टूटी दीवार और फेंसिंग का लाभ उठाकर तालाब वाले क्षेत्र में बाघ प्रवेश कर गया था। यहां गाए, ***** व अन्य छोटे वन्य प्राणियों की बड़ी संख्या है, जिससे बाघ को आसान शिकार मिलने लगे। उसने यहां दो गायों का शिकार किया था, जबकि दो को घायल किया। वन विभाग के अफसरों का कहना है इसकी उम्र करीब डेढ़ साल है और ये यहां से निकलकर केरवा की ओर चला गया है।
कोट्सजो बाघ पिंजरे में आया वह कठोतिया जंगल वाला है। 3 अक्टूबर को जो बाघ यहां पहुंचा था वह अलग है। वह तीन दिन पहले ही निकल गया था। जो बाघ पिंजरे में आया वह पूर्ण वयस्क है। उसे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भेज दिया गया है।
– आलोक पाठक, डीएफओ