
Tiger Panic in Bhopal
दिनेश भदौरिया
भोपाल। कलियासोत-केरवा क्षेत्र में आदमी तो खतरे में हैं ही, टाइगर्स पर भी खतरा मंडरा रहा है। समरधा रेंज में बुल मदर फार्म के आगे से लेकर केरवा कोठी तक दर्जनभर से अधिक स्थानों पर फेंसिंग टूटी हुई है। किसी-किसी जगह तो टाइगर और इंसान एक साथ निकल सकते हैं। गेट तक ठीक से बंद नहीं किया जाता। कभी मौका पाकर शिकारी आराम से अंदर प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं है।
बाघिन टी-123 इस समय कलियासोत-केरवा के फॉरेस्ट में घूम रही है। इस बाघिन के सिवा इस क्षेत्र में अन्य टाइगर्स का भी मूवमेंट बना रहता है। शिकारी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की बाउंड्री के सामने (शारदा विहार से थोड़ा पहले) पुलिया के नीचे फेंसिंग को काफी तोड़ा गया है। यहां इतनी जगह है कि बाघ शिकार को लेकर निकल सकता है।
गेट नहीं किया जाता लॉक
मेंडोरा गांव के सामने टाइगर मूवमेंट वाले संरक्षित फॉरेस्ट का गेट तक ठीक से बंद नहीं किया जाता। ये गतिविधियां खतरनाक टाइगर मूवमेंट के कारण केरवा पिकनिक स्पॉट से नर्सरी की ओर जाना शाम चार बजे से सुबह आठ बजे तक प्रतिबंधित है, लेकिन प्रेमी युगल और युवा मौका पाकर इस क्षेत्र में चले जाते हैं और वहां सड़क पर आकर सेल्फी लेते हैं।
कट रही लकडिय़ां
लकड़ी काटकर ला रही मेंडोरी गांव की सरजूबाई और किरन बाई ने बताया कि नारायन और एक अन्य चीचली निवासी नारायन चौकीदार उन्हें लकड़ी काटने के लिए अंदर आने देते हैं। रविवार को टाइगर के पानी पीने के लिए गड्डा बनाया है।
० मैं स्वयं जाकर देखता हूं जालियां कहां-कहां क्षतिग्रस्त हैं। संरक्षित वन क्षेत्र में घुसपैठ कराने या लकड़ी कटवाने में कोई कर्मचारी दोषी पाया जाएगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. एसपी तिवारी, सीसीएफ, भोपाल
० मैं स्वयं जाकर देखता हूं जालियां कहां-कहां क्षतिग्रस्त हैं। संरक्षित वन क्षेत्र में घुसपैठ कराने या लकड़ी कटवाने में कोई कर्मचारी दोषी पाया जाएगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. एसपी तिवारी, सीसीएफ, भोपाल
Published on:
21 Aug 2017 07:10 am
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