
भोपल। सावन के सुहाने मौसम में अगर आप भी कहीं घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो, ये खबर आपको जरूर पढऩी चाहिए। क्योंकि इस खबर में हम आपको बता रहे हैं अजब-गजब एमपी का ऐसा टूरिज्म स्पॉट जहां हरियाली और बादलों का मिलन आपके दिलों को भी करीब ले आएगा। यही नहीं इतिहास और राजसी ठाठ-बाट के साक्षी महल और उनमें पलने वाले अमर प्रेम की कहानियां-किस्से आपका रोमांच ऐसा बढ़ाएंगी कि आप इस खूबसूरत जगह के कायल हो जाएंगे। आपको बहारों और नजारों के इस शहर के बीच कुछ यादगार, रोमांचक और रोमांटिक पलों को हमेशा के लिए संजोने का मौका मिलेगा। बारिश का सीजन है, सावन का महीना है और रिमझिम फुहारों के बीच इतनी खूबसूरत जगह का मजा आप भी जरूर लेना चाहेंगे, हैं ना, तो आइए हम आपको ले चलते हैं इस छोटी सी लेकिन खूबसूरत दुनिया 'मांडू'। मध्यप्रदेश के ट्रेवल-टूरिज्म के खजाने से चुना एक चुनिंदा प्राचीन शहर जहां जमीं-आसमां एक होते नजर आते हैं। खासतौर पर बारिश के दिनों में यहां की खूबसूरती से आपको प्यार हो जाएगा...
पढ़ें ये रोचक बातें...
1. राजा-रानी के अमर प्रेम की गाथा यहां का जर्रा-जर्रा सुनाता है। यहां के हरे-भरे और घने जंगल, छलछलाता कलकल करता नर्मदा का तट इसे मालवा का स्वर्ग बनाते हैं। इस खूबसूरती के बीच आकर आप खुद को बेहद खुशमिजाज और रिलेक्स्ड फील करते हैं। यही कारण है कि सुल्तानों के समय इस शहर का नाम शादियाबाद यानी खुशियों का शहर था। वहीं इसे प्रदेश का चमकता हुआ मोती भी कहा जाता है।
2. महान कवि अबुल फजल को मांडू का मायाजाल भ्रमित करता था। मांडू के लिए उन्होंने कहा है कि यह पारस पत्थर की देन है। मुख्य रूप से यहां चार वंशों ने राज कर अपनी नीव मजबूत की है, परमार काल, सुल्तान काल, मुगल काल और पवार काल।
3. मांडू को मुख्य तौर पर परमार शासकों ने बसाया था, जिनमें से हर्ष, मुंज, सिंधु और राजा भोज इस वंश के महत्वपूर्ण शासक रहे हैं।
अमर प्रेम की ये गाथा बना देगी रोमांटिक
मांडू मध्यप्रदेश का एक ऐसा पर्यटनस्थल है, जो रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के अमर प्रेम का साक्षी है। यहां के खंडहर और इमारतें हमें इतिहास के उस झरोखे के दर्शन कराते हैं, जिसमें हम मांडू के शासकों की विशाल समृद्ध विरासत और शानो-शौकत से रूबरू होते हैं। आज कई विरासतें खंडहर की शक्ल ले चुकी हैं। इन खंडहरों के कारण इसे खंडहरों का गांव भी कहते हैं। लेकिन इन खंडहरों को जब आप निहारते हैं, तो न केवल रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के अमर प्रेम को इतिहास की आंखों से निहारने लगते हैं बल्कि उसे महसूस भी करने लगते हैं।
इस सीजन में देश-विदेश से टूरिस्ट पहुंचते हैं यहां
बारिश के इन दिनों में हरियाली की मखमली सी चादर और बादलों का लिहाफ ओढ़ा मांडू देशी-विदेशी टूरिस्ट को बेहद पसंद पसंद आता है। यहां के शानदार और विशाल दरवाजे मांडू प्रवेश के साथ ही आपका ऐसे स्वागत करते नजर आते हैं, जैसे आप किसी बेहद समृद्ध शासक के नगर में प्रवेश कर रहे हों।
घुमावदार रास्ते बना देंगे दीवाना
- जैसे ही आप इन दरवाजों में प्रवेश करते हैं यहां के घुमावदार रास्ते आपको बुलाते नजर आते हैं जैसे गुनगुना रहे हों रेशम जैसी हैं राहें, खोले हैं बाहें ये वादियां... इन रास्तों की खूबसूरती यहां घूमने के लिए आपका उत्साह और जोश बढ़ा देती है।
- यह विन्ध्याचल की पहाडिय़ों पर लगभग 2,000 फीट की ऊंचाई पर बसा है। इसीलिए इसे 'मांडवगढ़' के नाम से भी जाना जाता है।
- पहाड़ों और चट्टानों के इस इलाके में ऐतिहासिक महत्व की कई पुरानी इमारतें आज भी समय की कसौटी पर खरी उतरती हैं।
- मालवा के राजपूत परमार शासक बाहरी आक्रमण से अपनी रक्षा के लिए मांडू को एक सुरक्षित जगह मानते थे।
ये हैं मांडू के खूबसूरत आकर्षण
- रानी रूपमती का महल, हिंडोला महल, जहाज महल, जामा मस्जिद, अशरफी महल मांडू के खूबसूरत आकर्षणों में शामिल हैं।
- यहां भगवान सुपाश्र्वनाथ की पद्मासन मुद्रा में विराजित श्वेत वर्णी सुंदर प्राचीन प्रतिमा है। इस प्रतिमा की स्थापना 1472 में की गई थी। मांडवगढ़ में कई ऐतिहासिक महत्व के जैन मंदिर भी हैं, जिसके कारण यह जैन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थान भी है। इसीलिए मांडू को 'मांडवगढ़ जैन तीर्थ' के नाम से भी जाना जाता है।
12 दरवाजें हैं स्वागत द्वार
- मांडू में लगभग 12 प्रवेश द्वार हैं, जो मांडू में 45 किलोमीटर के दायरे में मुंडेर की तरह बनाए गए हैं।
- इन दरवाजों में 'दिल्ली दरवाज़ा' खास है, जो मांडू का मुख्य प्रवेश द्वार है। इसे 1405 से 1407 के बीच बनाया गया था।
- यह खड़ी ढाल के रूप में घुमावदार मार्ग पर बनाया गया है। कहा जाता है कि यहां पहुंचने पर हाथियों की गति धीमी हो जाती थी।
- इस दरवाजे में प्रवेश करते ही अन्य दरवाजों की शुरुआत के साथ ही मांडू के प्राकृतिक नजारे आपका मन खुश कर देते हैं। मांडू के प्रमुख दरवाजों में आलमगीर दरवाजा, भंगी दरवाजा, रामपोल दरवाजा, जहांगीर दरवाजा, तारापुर दरवाजा आदि कई दरवाजे हैं।
जहाज महल
- जहाज महल मांडू के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसका निर्माण 1469 से 1500 ईस्वी के बीच किया गया था। - यह महल जहाज की आकृति में दो कृत्रिम तालाबों कपूर तालाब और मुंज तालाब के बीच बना हुआ है।
- लगभग 120 मीटर लंबे इस खूबसूरत महल को दूर से देखने पर ऐसा लगता है मानो तालाब के बीच कोई सुंदर जहाज तैर रहा हो।
- माना जाता है कि इसका निर्माण शृंगार प्रेमी सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी ने विशेष तौर पर अंत:पुर (महिलाओं के लिए बनाए गए महल) के रूप में किया था।
हिंडोला महल
- हिंडोला महल मांडू के खूबसूरत महलों में से एक है। हिंडोला का अर्थ होता 'झूला'।
- महल की दीवारें कुछ झुकी होने के कारण यह महल हवा में झुलते हिंडोले जैसा महसूस होता है।
- इसीलिए इसे हिंडोला महल के नाम से जाना जाता है।
- हिंडोला महल का निर्माण ग्यासुद्दीन खिलजी ने 1469 से 1500 ईसवीं के मध्य सभा भवन के रूप में किया था।
- यहां के सुंदर कॉलम इसे और भी खूबसूरत बना देते हैं। इस महल के पश्चिम में कई छोटे-बड़े सुंदर महल हैं। इसके पास ही चंपा बावड़ी है।
जामा मस्जिद
- मांडू के मुख्य आकर्षणों में से एक है यहां स्थित जामा मस्जिद या जामी मस्जिद।
- इस विशाल मस्जिद का निर्माण होशंगशाह के शासनकाल में शुरू किया गया था और महमूद प्रथम के शासनकाल में यह मस्जिद बनकर तैयार हुई थी।
- इस मस्जिद की गिनती मांडू की नायाब इमारतों में की जाती है।
- यह भी कहा जाता है कि जामा मस्जिद डेमास्कस (सीरिया देश की राजधानी) की एक प्रसिद्ध मस्जिद का ही प्रतिरूप है।
अशरफी महल
- जामा मस्जिद के सामने ही अशरफी महल है। अशरफी का अर्थ होता है 'सोने के सिक्के'।
- इस महल का निर्माण होशंगशाह खिलजी के उत्तराधिकारी मोहम्मद खिलजी ने इस्लामिक मदरसे के रूप में किया था।
- यहां स्टूडेंट्स के रहने के लिए कई कमरों का निर्माण भी किया गया था।
होशंग शाह का मकबरा
- होशंगशाह का मकबरा, जो कि भारत में मार्बल से बनाया गया अपनी तरह का पहला मकबरा है।
- इसमें आपको अफगानी शिल्पकला का बेहतरीन नमूना देखने को मिलता है।
- यहां के गुंबज, बरामदों तथा मार्बल की जाली आदि की खूबसूरती बेजोड़ नजर आती है।
इन इमारतों में छिपा है रोचक इतिहास
कई ऐतिहासिक इमारते हैं यहां, इनमें नीलकंठ शिव मंदिर में आप दर्शन भी कर सकते हैं और नीलकंठमहल में घूम भी सकते हैं। इसे शाह बदगा खान ने अकबर की हिंदू पत्नी के लिए बनवाया था। इसकी दीवारों पर अकबर कालीन कला के नमूने दिखते हैं। यहां आप हाथी महल, दरिया खान की मजार, दाई का महल, जाली महल और ईको प्वॉइंट की सैर भी कर सकते हैं।
हवाई मार्ग से मांडू पहुंचें
इंदौर में देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। दिल्ली, मुंबई, पुणे, जयपुर, हैदराबाद, भोपाल, अहमदाबाद, नागपुर, रायपुर और कोलकाता से नियमित उड़ानें हैं। देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डे से कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें हैं।
ट्रेन से मांडू पहुंचें
इंदौर निकटतम शहर है जहां रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। मुंबई-दिल्ली रेलवे मार्ग पर मांडू मुख्य रेलवे मार्ग पर रतलाम (124 किमी) और इंदौर (95 किमी) और महू (80 किमी) दूर स्थित है। इन तीन स्टेशनों पर सभी ट्रेनें और एक्सप्रेस ट्रेनें रुकती हैं।
सड़क मार्ग से मांडू पहुंचे
मांडू इंदौर (95 किमी) और धार (35 किमी) से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इंदौर से मांडू के लिए दो सीधी बसें हैं, पहली गंगवाल बस स्टैंड से (08:00) और दूसरी सरवटे बस स्टैंड से (14:00 बजे)। यात्रा में 3 घंटे लगते हैं। वैकल्पिक रूप से कोई धार में एक ब्रेक यात्रा कर सकता है। इंदौर से धार और धार से मांडू तक नियमित बस सेवा है। आप इंदौर में कार किराए पर ले सकते हैं। इंदौर से सबसे अच्छा मार्ग इस प्रकार है: इंदौर - बेटमा - घाटाबिल्लोद - धार - मांडू। दूरी लगभग 95 किमी है और सड़कें अच्छी स्थिति में हैं।
Updated on:
14 Jul 2023 04:32 pm
Published on:
14 Jul 2023 01:18 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
