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परिवहन पाट्र्स घोटाला पर निगम के एक्सपर्ट की टीम इस सप्ताह देगी रिपोर्ट,

locationभोपालPublished: Mar 27, 2019 01:15:00 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

क्लिनचिट की तैयारी

nagar nigam

परिवहन पाट्र्स घोटाला पर निगम के एक्सपर्ट की टीम इस सप्ताह देगी रिपोर्ट,

भोपाल. वाहन पाट्र्स खरीदी की फर्जी फाइलें बनाकर करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा करने वालों को क्लिन चिट की तैयारी है। दरअसल निगम प्रशासन इस मामले में थर्ड पाटी टेक्निकल कमेटी की बजाय खुद के ही पुराने इंजीनियरों की कमेटी से जांच कर रिपोर्ट जारी करवा रहा है। इस सप्ताह ये रिपोर्ट सामने आ जाएगी। सूत्रों के अनुसार इसमें परिवहन पाट्र्स की खरीदी और वाहनों में इनका इंस्टॉलेशन साबित नहीं हो पा रहा है। इसके ही आधार पर इसके कोई दोषी सिद्ध नहीं हो पाएगा। उपायुक्त हरीश गुप्ता का कहना है कि मैनिट के एक्सपर्ट ने दस फीसदी फीस मांगी थी। ऐसे में निगम के ही एक्सपर्ट की कमेटी से जांच का निर्णय लिया गया। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। परिवहन पाट्र्स के घोटाले को 100 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला बताया जा रहा है। इस मामले में लोकायुक्त तक में शिकायत पहुंची है।
गौरतलब है कि अगस्तज 2016 में डीजल टैंक घोटाला भी सामने आया था। इसमें भी लगातार जांच सुनवाई हुई और लगभग सभी को क्लिनचिट दे दी गई थी। इसमें भी कुछ ऐसी ही स्थिति बनने की आशंका जताई जा रही है। तत्कालीन निगमायुक्त छवि भारद्वाज ने दोनों ही घोटालों को पकड़ा था। शुरुआती जांच कर कार्रवाई भी की थी। बाद में सभी अफसर, कर्मचारी अपने पुराने काम पर लौट आए।
करोड़ों रुपए के घोटाले, पुलिस में मामला दर्ज कराने से बचता रहा निगम

नगर निगम में परिवहन पाट्र्स, डीजल से लेकर कई घोटाले सामने आए। दो घोटाले तो खुद निगमायुक्त ने ही उजागर किए। बावजूद इसके इनकी जांच पुलिस को सुपूर्द करने की बजाय निगम ने विभागीय स्तर पर ही करने का निर्णय लिया। विभागीय जांच का नतीजा ये रहा कि ये लंबी चली और दोषी भी बच गए।
ये है वाहन पाट्र्स घोटाला
इसमें गैर जरूरी तौर पर वाहनों के पाट्र्स की खरीदी की गई। फाइल बनाई जाती और पहले से तय ठेकेदार से पाट्र्स खरीदी कर भुगतान कर दिया जाता। ये पाट्र्स किस वाहन में लगे, कब लगे, किसकी रिपोर्ट के आधार पर पाट्र्स लगाए गए, फाइलों से ये तथ्य गायब रहे। इसमें आशंका बनी कि सिर्फ पाट्र्स खरीदी की फाइलें बनाकर राशि ठेकेदार को दिलाई गई, इसमें पाट्र्स की खरीदी नहीं की गई। पैसा संबंधितों की जेब में गया। इसकी ही जांच चल रही है।
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