
Loksabha Election 2024
मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति का कुल आबादी में 22 प्रतिशत हिस्सा है। इसे देखते हुए यहां 6 सीटें अजजा के लिए आरक्षित भी की गई हैं। लेकिन हकीकत यह है कि 29 में से 10 सीटों पर आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। क्योंकि इन सीटों के तहत आने वाले जिलों में आदिवासी आबादी 27 से लेकर 87 प्रतिशत तक है। खास बात यह भी है कि आदिवासी मतदाता मतदान के लिए लगी लाइनों से घबराने वालों में से नहीं हैं। इनका वोट डालने का प्रतिशत 90 फीसदी से ऊपर रहता है। यही कारण है कि आदिवासी बाहुल्य सीटों पर मतदान 70 प्रतिशत के आसपास रहता है। यही कारण है कि भाजपा, कांग्रेस के साथ अन्य सभी पार्टियां भी आदिवासियों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
विधानसभा चुनाव में एसटी सीटों पर रही कांटे की टक्कर
मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए मप्र विधानसभा चुनाव 2023 में एसटी के लिए आरक्षित 47 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर रही। भाजपा ने 25 सीटें जीतीं तो कांग्रेस ने भी 21 सीटों पर विजय पाई। सिर्फ एक सीट सैलाना आदिवासी विकास पार्टी ने कांग्रेस से छीन ली। जबकि इसके पहले वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 30 सीटें, भाजपा ने 16 और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी। इस लिहाज से देखा जाए तो दोनों पार्टियों में आदिवासी सीटों पर कांटे की टक्कर रहती है। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पूरे प्रदेश में केवल छिंदवाडा की ही सीट बचा पाई थी बाकी सभी 28 सीटें भाजपा ने जीती थीं।
पीएम मोदी और राहुल गांधी ने आदिवासी बहुल स्थानों से की प्रचार की शुरूआत
आदिवासियों को लुभाने के लिए भाजपा कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता न केवल अपनी पार्टी द्वारा किए गए जनजातीय कल्याण के कार्य गिना रहे हैं बल्कि विरोधी पार्टी पर आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप भी लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जबलपुर में रोड शो किया वहीं मंगलवार को आदिवासी बहुल बालाघाट में सभा की। उन्होंने कहा कि कांगेस ने आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन के अधिकार से वंचित रखा। भाजपा ने पेसा कानून लागू किया जिसका लाभ आज देश के 1 करोड़ से ज्यादा आदिवासी ले रहे हैं। वहीं सोमवार को कांग्रेस के राहुल गांधी ने आदिवासी बहुल जिले मंडला और शहडोल में सभाएं की। उन्होंने एसटी वर्ग को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस आपको आदिवासी कहती है लेकिन भाजपा और संघ वनवासी, यह विचारधारा का असर है। उन्होंने 50 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी आबादी वाले जिलों में छठी अनुसूची लागू कर वहां की व्यवस्था उन्हीं के हाथों में सौंपने का वादा भी किया।
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इन जिलों में आदिवासी आबादी सबसे ज्यादा
सीट- कुल आबादी- अजजा आबादी - प्रतिशत
शहडोल- 1066063- 476008- 44.65
मंडला- 1054905- 610528- 57.87
रतलाम - 1455069- 409865- 28.16
धार- 2185793- 1222814- 55.94
खरगोन- 1873046- 730169- 38.98
बैतूल - 1575362- 667018- 42.34
उमरिया- 644758- 300687- 46.63
बड़वानी- 1385881- 962145- 69.42
हरदा- 570465- 159678- 27.99
डिंडोरी- 704524- 455789- 64.69
छिंदवाड़ा- 2090922- 769778- 36.81
सिवनी- 1379131- 519856- 37.69
अनूपपुर- 749237- 358543- 47.85
झाबुआ- 1025048- 891818- 87.00
अलीराजपुर- 728999- 648638- 88.97
बुरहानपुर- 757847- 230095- 30.36
खंडवा- 1310061- 459122- 35.04
सिंगरौली- 1178273- 383994- 32.58
सीधी- 1127033- 313304- 27.80
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लोकसभा चुनाव 2019 में आदिवासी बाहुल्य सीटों पर मतदान प्रतिशत
लोकसभा सीट- मतदान प्रतिशत
शहडोल- 74.73
सीधी- 69.50
मंडला- 77.76
बालाघाट- 77.61
छिंदवाड़ा- 82.39
रतलाम- 75.66
धार- 75.25
खरगोन- 77.82
खंडवा- 76.90
बैतूल- 78.15
Updated on:
12 Apr 2024 10:14 pm
Published on:
12 Apr 2024 10:13 pm
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