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इंटेलिजेंट ट्रैफिक में ट्रिकी गेम , मनमर्जी से तय कर ली शर्तें

सरकारी कम्पनी के आग्रह को दरकिनार कर जमा करा लिए टेंडर, चहेती कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए पीटीआरआई के अधिकारियों का गठजोड़

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Anwar Khan

Nov 03, 2015


भोपाल।
राजधानी सहित प्रदेश के तीन बड़े शहरों में इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट के टेंडर में चहेती कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सीवीसी (सेन्ट्रल विजिलेंस कमिशन) की गाइड लाइन को किनारे कर दिया गया। इस टेंडर के लिए शर्तें एेसी रखी गई हैं कि भारत सरकार की कम्पनी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तक इसे पूरा नहीं कर पाई।






कम्पनी ने टेंडर जमा करने की तारीख बढ़ाने के लिए टेंडर निकालने वाले पीटीआरआई के अधिकारियों को पत्र लिखा, लेकिन इस अनुरोध को भी दरकिनार करते हुए टेंडर जमा करा लिए। अधिकारियों को टेंडर प्रोसेस पूरी करने की इतनी जल्दी थी कि इसके लिए केन्द्र सरकार की कम्पनी का भी इंतजार किए बिना टेंडर जमा करवा लिए और अब एक-दो दिनों में इन्हें खोलने की भी तैयारी है। नई तकनीक के उपकरणों के करोड़ों के टेंडर में बड़े गेम को उजागर करती एक्सपोज की रिपोर्ट...


60 करोड़ का काम, 300 करोड़ का अनुभव



प्रदेश में इस काम को करने की इच्छुक कम्पनियों से पिछले तीन वर्षों में प्रति वर्ष 100 करोड़ का अनुभव मांगा गया है इस तरह टेंडर भरने वाली कम्पनी का पिछले तीन वर्षों में काम 300 करोड़ का होना चाहिए। जबकि कम्पनियों के पिछले वर्षों के कार्यों की लागत पर सीवीसी की गाइड लाइन कहती है कि यदि कम्पनी ने पिछले दो काम किए हैं तो उनकी लागत के 50 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए, यदि कम्पनी ने पिछले तीन काम किए हैं तो उनकी लागत टेंडर की लागत से 40 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए इसी तरह एक काम किया है तो लागत 80 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए। इसी तरह टर्न ओवर के बारे में नियम है कि तीन वर्ष का वार्षिक टर्नओवर कुल लागत का 30 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए।


ओईएम का पेंच

टेंडर की शर्तों के अनुसार टेंडर भरने वाली कम्पनी के पास उपकरणों की ओईएम (ओरिजनल इक्यूपमेंट मैन्यूफैक्चर ) से कंसोटियम (संयुक्त उपक्रम) चाहिए। यह एेसी शर्त है जिसके चलते कई कम्पनियां रेस से बाहर हो गईं। यहां तक की सरकार की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तक इसे पूरा नहीं कर पा रही है।


सिर्फ हैंडहेल्ड का अनुभव



भोपाल में इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट के तहत ई चालान की व्यवस्था होना है जबकि इस टेंडर में अनुभव हैंडहेल्ड मशीनों के काम का मांग लिया गया है। इससे ई चालान का वास्तविक अनुभव रखने वाली कई कम्पनियां बाहर हो गई हैं जबकि उसके एक हिस्से मात्र से हैंडहेल्ड मशीनों के काम का अनुभव रखने वाली कम्पनियों को ज्यादा फायदा पहुंचा है। जानकारों का कहना है कि अब यह टेंडर ई चालान प्रोसेस से ज्यादा आईटी क्षेत्र में काम करने वाली कम्पनियों के क्राइटेरिया का बन गया है जिससे जमीनी स्तर पर इस फील्ड में काम कर रही कम्पनियों के बजाए चुङ्क्षनंदा आईटी कम्पनियों को फायदा पहुंचेगा। यही कारण है कि इन शर्तों के चलते एक बार जहां काम के लिए कम्पनियां नहीं आईं वहीं दूसरी बार मात्र तीन कम्पनियों ने टेंडर भरा है जिसमें भी मुकाबला केवल दो के बीच नजर आ रहा है।


भर गए टेंडर, जल्द खुलेंगे

इस टेंडर के डॉक्यूमेंटस 29 अक्टूबर को जमा कराए जा चुके है। अब अंदरुनी स्तर पर इनकी जांच चल रही है । जानकारों का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया जल्द पूरी कर जल्द ही विड खोलने की तैयारी की जा रही। ये सारा काम बड़ी तेजी से हो रहा है।


पांच गुना टर्नओवर

पीटीआरआई का यह टेंडर 60 करोड़ का है, सीवीसी की गाइड लाइन के ही अनुसार पिछले तीन वर्षो का टर्न ओवर 18 -18 करोड़ रुपए होना चाहिए। यह एक सीमा तय की गई है जबकि पीटीआरआई के अधिकारियों ने सीवीसी को भी पीछे छोड़ते प्रत्येक वर्ष का 100-100 करोड़ का टर्नओवर मांग लिया है जो कि पांच गुना से भी अधिक है। इससे कहीं न कहीं संकेत मिलता है कि प्रतियोगिता सीमित करने के लिए भारी-भरकम राशि रखी गई है जो चंद चुनिंदा कम्पनियां ही पूरी कर पाएं।


सिर्फ तीन कम्पनियां आईं

देश भर में दिल्ली, अहमदाबाद, चेन्नई सहित एक दर्जन से अधिक शहरों में हैंडहेल्ड मशीनों से ई चालान किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं कैमरे से सर्विलेंस का सिस्टम तो दर्जनों शहरों में काफी पहले से चल रहा है लेकिन पीटीआरआई से जारी टेंडर में शर्तें इतनी टेढ़ी हैं कि पूरे देश से मात्र तीन कम्पनियों ने ही टेंडर भरे। सूत्रों का कहना है कि इनमें से भी एक कम्पनी दिखावे की है जबकि असली खेल दो के बीच होना है।


क्या है स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट

इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट के तहत शहर में सड़कों पर सीसीटीवी कैमरों का इंस्टॉलेशन और एक हाईटेक कंट्रोल रूम से ऑटोमेटिक जनरेट होने वाले ई चालान का सिस्टम इंस्टाल किया जाता है। जिसमें एक वीडियो क्लिप भी बनाई जाती है। इसमें 24 घंटे निगरानी रहती है।


नोएडा एक्सप्रेस वे पर हो चुका है शुरू

इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की शुरूआत फरवरी माह में नोएडा एक्सप्रेस वे पर की गई है। 23.5 किलोमीटर के एक्सप्रेस वे पर 132 सीसीटीवी कैमरों को इंस्टॉल किया गया है। इसमें वाईफाई की सुविधा भी दी गई है। ई चालान के लिए उन्होंने नेशनल ट्रांसपोर्ट सर्वर से कनेक्ट किया है।

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