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शाहबानो ने 1978 में उठाई थी मांग, 11 प्रधानमंत्री बदले, 6 का कार्यकाल भी देखा, मोदी राज में मौत के 27 साल बाद मिला इंसाफ

triple talaq: पांच बच्चों के साथ शाहबानो के पति 60 साल की उम्र में घर से कर दिया था बाहर। ट्रिपल तलाक के खिलाफ लड़ाई शुरू करने वाली पहली महिला थीं।

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भोपाल

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Pawan Tiwari

Jul 31, 2019

Muslim women

भोपाल. मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला ऐतिहासिक विधेयक राज्यसभा से भी पास हो गया है। अब इस बिल का राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की सहमति के बाद ये कानून बन जाएगा। तीन तलाक को लेकर देश में कई मुस्लिम महिलाएं लंबे समय से लड़ाई लड़ रहीं थी। ट्रिपल तलाक ( triple talaq ) के खिलाफ आवाज उठाने वाली भारत की पहली महिला शाहबानो ( shahbano ) की वजह ही आज करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को उनका हक मिला है। शाहबानो ने देश में सबसे पहले तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी। लेकिन इंसाफ उनकी मौत के 27 साल बाद मिला है।

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1978 में शुरू हुई थी मांग
मामला 1978 का था। इंदौर की रहने वाली शाहबानो को पति मोहम्मद खान ने तलाक दे दिया था। पांच बच्चों की मां 62 वर्षीय शाहबानो ने गुजारा भत्ता पाने के लिए कोर्ट की शरण ली। मामला कोर्ट में पहुंचा और उस पर सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचते-पहुंचते सात साल का वक्त बीत चुका था। शाहबानो के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1985 में फैसला सुनाया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाते हुए शाहबानो के हक में फैसला देते हुए मोहम्मद खान को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।

शाहबानो ने जब मांग उठाई थी तब मोरारजी देसाई थे पीएम
1978 में शाहबानो ने जब तीन तलाक और गुजारा भत्ता के लिए आवाज उठाई थी तब देश में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे। मोरारजी देसाई के बाद इस देश में 11 प्रधानमंत्री हुए। 12वें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं उन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद तीन तलाक को लेकर आवाज उठाई।

मोरारजी के बाद ये नेता बने देश के पीएम

































































प्रधानमंत्रीकार्यकाल
मोरारजी देसाई1977-1979
चौधरी चरण सिंह1979-80
इंदिरा गांधी1980-1984
राजीव गांधी1984-89
वीपी सिंह1989-90
चंद्रशेखर1990-91
नरसिम्हा राव1991-1996
अटल बिहारी वाजपेयी1996 (13 दिन के लिए)
एचडी देवगौड़ा1996-1997
आईके गुजराल1997-1998
अटल बिहारी वाजपेयी1998-1999
अटल बिहारी वाजपेयी1999-2004
डॉ मनमोहन सिंह2004-2014
नरेन्द्र मोदी2014 से अब तक

राजीव गांधी ने पलटा था फैसला
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पुरजोर विरोध किया। शाहबानो के हक में फैसला आने के बाद देशभर में राजनीतिक बवाल मच गया था। राजीव गांधी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को मिलने वाले मुआवजे को निरस्त करते हुए 1986 में मुस्लिम महिला (तलाक में संरक्षण का अधिकार) अधिनियम पारित किया था। इस अधिनियम के बाद से सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट गया था।

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1992 में शाहबानो की हुई थी मौत
बढ़ती उम्र की वजह से शाहबानो बीमार रहने लगी थीं। बताया जाता है कि पति से तलाक के बाद ही उनकी सेहत बिगड़ने लगी थी जिस कारण वो बीमार रहने लगीं थी। 1992 में ब्रेन हैमरेज के कारण शाहबानो की मौत हो गई थी।


मौत के 27 साल बाद बना कानून
1992 में शाहबानो की निधन के 27 साल बाद 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में शाहबानो समेत देश की सभी मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी मिली। मोदी सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया जा रहा है। पीएम मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में एक साथ तीन तलाक को लेकर आवाज उठाई थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सायरा बानो केस पर फैसला सुनाते हुए साल 2017 में तत्काल प्रभाव से तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। अलग-अलग धर्मों वाले 5 जजों की बेंच ने 3-2 से फैसला सुनाते हुए सरकार से तीन तलाक पर छह महीने के अंदर कानून लाने को कहा था। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद देश में तीन तलाक को लेकर कानून लागू हो जाएगा।